कविता सामाजिक सशक्तिकरण

अनाहूत -(सॉनेट )

अनिमा दास II

निश्चिह्न कर दो इन पदरेखाओं को
कह दो.. संसार को आह! न कहे
उन्मुक्त कर दो घृणित पक्षियों को
कह दो अश्रुओं को रक्त सा न बहे।

निष्ठुरों की कारा में किया विषपान
मैंने प्रतिदिन दी है प्राणांतक परीक्षा
कह दो…निर्जीवों को..हों गतिमान
सभ्यता के दाह में है अल्प प्रतीक्षा।

कर रहीं प्रस्थान निमंत्रित व्यथाएँ
समाप्ति की घोषणा में हैं पंचभूत
उद्विग्न पवन में जल रहीं कथाएँ
कह दो..समाज से मैं थी अनाहूत।

न..न..मैं नहीं हूँ आज अभिशापित
हो रहा मुझमें एक शून्य पुनर्जीवित।

नदी सी तू…( सॉनेट )

देखो दृश्य दिगंत का.. दीप्त हो रहा
शंख संवित्ति का सुमधुर सुर में बहा
कथाश्रु की दो धाराएँ…तट-द्वय पर
बह गईं विरह के साथ देह उभय पर।

नदी..नदिका,नदीकांत में हुईं निमग्ना
निर्झर निरुत्तर.. नील हुआ है कितना
वन वन नृत्य करता मुग्ध मुदित मयूर
प्राची पवन से प्रीति पुष्पपराग अदूर।

तीर..तरंगिणी.. शून्या तरणी ..क्षोणी
विमुख व्यथा से री!विदग्धा विरहिणी
आहा! स्वप्न समुद्र में संगमित सलिल
उरा के उर से उद्वेलित आपगा उर्मिल ।

मोह लिया..मोक्ष दिया, किया मानित
महाकाव्य की मनस्विनी हुई मोहित।

About the author

Anima Das

श्रीमती अनिमा दास- (१५ सितंबर, १९७३) का जन्म ओड़िसा के कटक जिले में हुआ , आप एक मिशनरी इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षिका हैं। आप एक अत्यंत प्रतिभा संपन्न हिंदी कवयित्री व सोनेटियर हैं। इनकी लेखनी सोनेट्स एवं छंदमुक्त कविताओं में प्राणों का संचार कर देती है। प्रकृति, सामाजिक समस्याओं के प्रति चिंता व विशेष रूप से मृत्यु एवं प्रेम के प्रति संवेदनशीलता आपके काव्य की विशिष्टता है। हिंदी में मुख्य कार्य के रूप में 'काव्य-पुष्पांजलि' व एकल सोनेट संग्रह 'शिशिर के शतदल' के अतिरिक्त 5 साझा संग्रह भी पृष्ठबद्ध हुये हैं। काव्य संग्रह 'प्रतीची से प्राची पर्यंत' में आपने सुविख्यात ओड़िआ सोनेट रचनाकारों को हिंदी में अनूदित भी किया है।

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