सर्वेश्वरदयाल सक्सेना II निराशा की उंची काली दीवार मेंभी बहुत छोटे रोशनदान-सीजड़ी रहती है कोई न कोई...
काव्य कौमुदी
एक खत मां के नाम
संतोषी बघेल II एक अनाम खतलिखना चाहती हूं मैंअपनी मां के नाम,ढेरों शिकायतें, ढेरों नाराजगी के...
संत नरसी मेहता का भजन ‘वैष्णव जन’
गांधी जयंती पर अश्रुतपूर्वा विशेष ।। वैष्णवजन तो तैणें कहिये जे पीर परायी जाणें रे।पर दु:खे उपकार...
प्रीति जब प्रथम-प्रथम जगती है
रामधारी सिंह दिनकर II इसमे क्या आश्चर्य? प्रीति जब प्रथम-प्रथम जगती है,दुर्लभ स्वप्न-समान रम्य नारी...
न जाने अब प्रेम था कि नहीं
अनामिका सिंह II नाद्या,यदि तुम होती सामने तोमैं टांक देती अपनेएक-एक प्रश्न कोउसी तरह तुम्हारे कानों...
क्या सोच रही है नदी
राकेश धर द्विवेदी II क्या सोच रही है नदीनदी कुछ सोच रही हैकुछ मौन की भाषा बोल रही है,देख रही है...
“शारदा वंदना”
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ II कलुष हृदय में वास बना माँ,श्वेत पद्म सा निर्मल कर दो ।शुभ्र...
ठुकरा दो या प्यार करो
सुभद्रा कुमारी चौहान II देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैंसेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की...
जीवन वही है जो दूसरे के काम आए
राकेश धर द्विवेदी II हर शख्स दौड़-भाग रहा हैबस एक ही चीज मांग रहा हैसरजी मुझे चाहिए श्रेष्ठइसलिए मैं...
यह जो आम आदमी है
राकेश धर द्विवेदी II राशन की दुकान परचार घंटे से खड़ा हैयह आम आदमी है। सब्जी वाले से जोबिना बात के...
नए मायने स्वामीभक्ति के
राकेश धर द्विवेदी II जाड़े की सुनसान सड़क परथिरक रहा पिज्जा हाटऔर खींच रहा मॉल का शोर,दौड़ रही...
मेरा अनंत होना
सांत्वना श्रीकांत II मेरा अनंत होनाउतना ही जरूरी थाजितना किसबसे पवित्र किए गएप्रेम को संजो...
