ग़ज़ल/हज़ल सामाजिक सशक्तिकरण

हमने तन्हा वक्त गुजारा जैसे तैसे

सागर II

खाली रस्ता देख निहारा जैसे तैसे,
हमने तन्हा वक्त गुजारा जैसे तैसे।

वो बोले थे हम तुमको मिलने  आएंगे,
इसके सदके चांद उतारा जैसे तैसे।

आ इश्क लड़ा था दिल पे एक जमाने में,
चुपके-चुपके सांप वो मारा जैसे-तैसे।

पहली बार मिले थे जिसको मयखाने में,
साकी उसका नाम पुकारा जैसे-तैसे।

सोचा था उसको हम सीने से लगाएंगे,
फिर मन को मुश्किल से मारा जैसे-तैसे।

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ashrutpurva

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