अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। नई दिल्ली। स्त्रियां जब लिखती हैं तो एक परंपरा और संस्कृति को समृद्ध करती हैं। वे एक नया संसार न केवल खुद के लिए बल्कि औरों के लिए भी बनाती हैं। हाल फिलहाल विश्व भर की कुछ लेखिकाओं ने मिल कर यही किया है। उन्होंने यही बताया है कि किस तरह से हमारी संस्कृति साहित्य का मार्गदर्शन करती है। इन लेखिकाओं की 18 लघु कहानियां ‘द पंच मैगजीन एंथोलॉजी आफ न्यू राइटिंग : सेलेक्ट स्टोरीज बाई वूमेन राइटर्स’ को पढ़ कर यही लगता है।
कहानियों का यह संग्रह नियोगी बुक्स ने प्रकाशित किया किया है। इसका संपादन ‘द पंच मैगजीन’ के संस्थापक शिरीन कादरी ने किया है। इस पुस्तक में वाशिंगटन से लंदन और रोम तथा कश्मीर से केरल तक की संस्कृति की झलक हमें मिलती है। इन समकालीन लेखिकाओं ने लोगों की चिंताओं एवं मानसिक व्यस्तता को सामने की कोशिश की है।
- 18 लघु कहानियों वाले संग्रह ‘द पंच मैगजीन एंथोलॉजी आॅफ न्यू राइटिंग : सेलेक्ट स्टोरीज बाई वूमेन राइटर्स’ में वाशिंगटन से लंदन एवं रोम तक तथा कश्मीर से केरल तक की संस्कृति की झलक हमें मिलती है। समकालीन लेखिकाओं ने लोगों की चिंताओं एवं मानसिक व्यस्तता को सामने की कोशिश की है।
पुस्तक के संपादक शिरीन कादरी का कहना है कि लघु कहानियों ने हमेशा दुनिया भर के लेखकों को आकर्षित किया है। इन लघु कहानियों में दिखाया गया है कि किस तरह से वे जीवन की जटिलताओं एवं विरोधाभासों का विस्तार करती हैं। संग्रह में जिन लेखिकाओं की कहानियां शामिल हैं उनमें मीना मेनन, मेहर पेस्टनजी, जयश्री मिश्र, हुमरा कुरैशी, अंजलि डोनी, अनिला एसके, गीता नायर, हेलेन हैरिस, लता अनंतरमन, रिनीता बनर्जी, रोशेल पोटकर, सारा रॉबर्टसन, टैमी आर्मस्ट्रांग, विनीता मोक्किल, वृंदा बलिगा,अमीता बल और शिल्पा रैना हैं। पुस्तक की प्रशंसा गुलजार ने भी की है। (इनपुट एजंसी)
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