अमनदीप गुजराल ‘विम्मी’ II
हुआ सवेरा कौआ बोला
सूरज ने भी ली अंगड़ाई
उजली-उजली रंगत लेकर
किरणें आज धरा पर आईं
झूमे पेड़ औ’ पत्ते जागे
चिड़ियों ने अब पर फैलाए
दाना चुगने आईं धरा पर
बीने कुछ, घर कुछ ले जाए
फूलों ने जब आंखें खोलीं
तितली भौंरे झूमें गाएं
नीले-पीले रंग खिले हैं
बच्चे दौड़े धूम मचाएं
आओ मिल कर खेलें कूदें
नाचें-गाएं शोर मचाएं
राग द्वेष से रहें दूर सब
नया जहां हम एक बनाएं