बाल कविता बाल वाटिका

बच्चे बोले, चलो करें पढ़ाई

राकेश धर द्विवेदी II

हुईं छुट्टियां खत्म
अब नाना-नानी
दादा-दादी के
घर से करते हैं विदाई
चलो करते हैं पढ़ाई।

ही मैन, बेकमैन, स्पाइडरमैन
वाला बस्ता नया खरीदते हैं
नई-नई कॉपी-किताब
और पानी बॉटल, टिफिन
का डिब्बा फिर से लाते हैं
चलो करते हैं पढ़ाई।

नए-नए मित्रों से मिल कर
खूब हुड़दंगई करते हैं
चलो करते हैं पढ़ाई।

क्लास नया है, नई हैं मैडम
नए-नए हैं सर हैंडसम
सब से मिल-जुल कर
 करते हैं कुछ नई लिखाई
चलो करते हैं पढ़ाई।

नए गीत, नव स्वप्नों, नव उद्देश्यों की
फिर से  करते हैं बुवाई,
चलो करते हैं पढ़ाई।

हिंदुस्तान के बच्चों के सपने

हम बच्चे हिन्दुस्तान के,
कुछ ऐसा कर दिखलाएंगे।

सारी दुनिया में प्यारा तिरंगा,
भारतवर्ष का लहराएंगे।

राम-कृष्ण के संदेशों को,
जन-जन तक पहुंचाएंगे।

सत्य, अहिंसा और धर्म के,
गीतों को मधुर स्वरों में गाएंगे।

हम बच्चे हिन्दुस्तान के,
कुछ ऐसा कर दिखलाएंगे।

शांति, सहिष्णुता, विश्व-बंधुत्व की,
नई इबारत लिख जाएंगे।

जो वर्षों से बैठे हैं अंधेरे में,
उनके जीवन में
उजियारा बन कर आएंगे।

दलित, शोषित और असहाय जनों के,
जीवन के संबल बन जाएंगे।

हम बच्चे हिन्दुस्तान के,
कुछ ऐसा कर दिखलाएंगे।

रामराज्य के सपनों को,
पूरा कर के दिखलाएंगे।

दैहिक, दैविक भौतिक ताप से,
दुनिया को निजात दिलाएंगे।

भेदभाव और रंगभेद को,
दुनिया से मिटाएंगे।

हम बच्चे हिन्दुस्तान के,
कुछ ऐसा कर दिखलाएंगे।

गांधीजी के अहिंसा के संदेश को,
सारी दुनिया में फैलाएंगे।

पापा का इंतजार करते बच्चे

पापा जल्दी आ जाना
चाहे वीडियो गेम ना लाना

घर में नहीं उजाला है
हर तरफ अंधियारा है

दीवारें भी अब रोती हैं
तुम्हारी राहें देखती हैं

मैं तो अब यह सोचता हूं
लोरी कौन सुनाएगा
घुम्मी कौन ले जाएगा
कंधे पर अपने बैठा कर
मुझको कौन घुमाएगा

मैं तुमसे बातें करने
मोबाइल रोज मिलाता हूं
ट्रिन-ट्रिन घंटी रोज बजती
पर बात नहीं कर पाता हूं

मम्मी ने प्ले स्टेशन को
अलमारी में बंद कर दिया है
पिट्टी रोज ही करती है
होमवर्क घंटों कराती है

मैं कहता हूं सीडी लाकर दो
तो लिख कर बाजार ले जाती है
फिर लौट कर घर
एक भी सीडी नहीं लाती है

तुम जल्दी से घर आ जाओ
ढेरों सीडी लेकर आएंगे
मैकडोनल और पिज्जा हट में जाकर
धमा-चौकड़ी खूब मचाएंगे
‘ओरियो’ छुप कर खाएंगे
घंटों गप्पे लड़ाएंगे

पापा जल्दी आ जाना
चाहे वीडियो गेम ना लाना
‘ओरियो’ छुप कर खाएंगे
घंटों गप्पे लड़ाएंगे।

About the author

राकेश धर द्विवेदी

राकेश धर द्विवेदी समकालीन हिंदी लेखन के सशक्त हस्ताक्षर हैं। वे कवि हैं तो गीतकार भी। उनकी कई रचनाएं प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। द्विवेदी की सहृदयता उनकी रचनाओं में परिलक्षित होती है। उनकी कुछ रचनाओं की उपस्थिति यूट्यूब पर भी देखी जा सकती है, जिन्हें गायिका डिंपल भूमि ने स्वर दिया है।

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