अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। प्रसिद्ध चित्रकार पुलक गोगोई नहीं रहे। गुवाहाटी में एक सरकारी अस्पताल में उनका निधन हो गया। वे काफी समय से बीमार थे। वे 84 साल के थे। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है। बताया गया कि गोगोई को गुर्दे और हृदय से संबंधित बीमारियां थीं। कुछ समय पहले ही उन्हें गुवाहाटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। असम सरकार ने 2017 में उन्हें ललित कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कालगुरु विष्णु प्रसाद राभा पुरस्कार से सम्मानित किया था।
गोई के निधन की खबर फैलते ही कला जगत में शोक छा गया। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने पलक गोगोई के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि गोगोई असम की सांस्कृतिक दुनिया के अग्रदूत थे। फिल्म निर्देशक, चित्रकार तथा कार्टूनिस्ट पुलक गोगोई के देहावसान की खबर सुनकर उन्हें दुख हुआ है। असम में आधुनिक समसामयिक कला को आकार देने वाले गोगोई का जन्म जोरहाट में हुआ था। उन्होंने बांद्रा कॉलेज आफ आर्ट से पढ़ाई की थी।
असम सरकार ने 2017 में पलक गोगोई को ललित कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कालगुरु विष्णु प्रसाद राभा पुरस्कार से सम्मानित किया था। गोगोई ने 1974 में अपनी फीचर फिल्म खोज से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने कई श्रेष्ठ फिल्में बनाई। इनमें कई चर्चित रहीं।
गोगोई की कलाकृतियां मुंबई की जहांगीर आर्ट गैलरी, कोलकाता की एकेडमी आफ फाइन आर्ट्स, नई दिल्ली स्थित ललित कला अकादमी, वाशिंगटन होजेज गैलरी तथा असम एवं मेघालय की कला वीथिकाओं में प्रदर्शित की जा चुकी है। वे कोलकाता में अपनी कला के जुनून को लेकर आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन तंगहाली ने उन्हें गायक-फिल्मकार भूपेन हजारिका के यहां नौकरी करने के लिए बाध्य कर दिया।
हजारिका ने गोगोई को एक फिल्म स्टूडियो में काम दिलवा दिया था, लेकिन उसी साल गोगोई गुवाहाटी लौट गए। इसके बाद वे अमर प्रतिनिधि और असम बानी समेत कई प्रकाशनों के लिए व्यंग्य चित्र बनाने लगे। फिर वे दैनिक असम से जुड़ गए। उन्होंने फिल्मकार हजारिका के सहायक के रूप में भी काम किया। गोगोई ने 1974 में अपनी फीचर फिल्म खोज से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा। इसके बाद गोगोई ने कई श्रेष्ठ फिल्में बनार्इं। इनमें कई चर्चित रहीं। (मीडिया में आई खबर की पुनर्प्रस्तुति)