कविता सामाजिक सशक्तिकरण

जब लौटे अयोध्या राम सजी रंगोली विजय की

नीता अनामिका II

छल-कपट के चौसर पर
पासे गए सब सज
चले वचनबद्ध राम
राज पाट सब तज…

वर्ष चौदह वनवास का
हिय से लिए लगाए
लक्ष्मण सीता साथ चले
भरत रोए पछताए…

भाग्य-दुर्भाग्य किस्मत का
रच रहे थे खेल
लंकापति रावण के
मति भ्रम का
उनसे हो गया मेल…

किया हरण सीता का
साधु का वेश सजाए
भ्रमित सीता लांघ गई
रेखा जो लखन बनाए…

सीता जो जाती मान
प्रिय लक्ष्मण की बात
ना बीतती लंका में उनकी
अनगिनत अंधेरी रात…

हुआ छल घटा युद्ध
रच गया एक इतिहास
वाल्मीकि के शब्दों में
लौकिक काव्य अनुप्रास…

चौदह वर्ष के वनवास बाद
जब लौटे अयोध्या राम
सजी रंगोली विजय की
जगमग हुआ चौ धाम …

अमावस्या की तिमिर को
हरता जलता दीप
जैसे सागर तल में
मोती पाले सीप…

राजा हो या रंक
हर घर जलते दीप
दीवाली के पर्व में
अंतस हुए समीप…।

About the author

नीता अनामिका

नीता अनामिका कोलकाता के साहित्यिक समाज में जाना मान नाम हैं। वे लेखिका हैं, कवयित्री हैं। समाज सेविका भी हैं। वे साहित्यिक संस्था 'शब्दाक्षर' की राष्ट्रीय महामंत्री हैं। नीता सामाजिक संस्था 'वाराही एक प्रयास' की संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे अक्सर सामाजिक समस्याओं पर कविताएं और कहानियां लिखती हैं। उनकी ज्यादातर रचनाएं साहित्यिक पत्रिकाओं और प्रतिष्ठित समाचारपत्रों और ई-पत्रिकाओं में छपती रही हैं।

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