अश्रुत तत्क्षण

कान फिल्म महोत्सव में पहली बार हिंदी पुस्तक का लोकार्पण

फोटो- गूगल से साभार

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। पचहत्तरवें कान फिल्म समारोह में संभवत: पहली बार हिंदी में छपी किताब का लोकार्पण किया गया। महोत्सव के भारतीय मंडप में आयोजित विशेष समारोह में फिल्म पत्रकार और लेखक अजित राय की किताब ‘बालीवुड की बुनियाद’ का लोकार्पण हुआ। इसे वाणी प्रकाशन ने छापा है। 

सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्र ने हिंदुजा समूह के अध्यक्ष (यूरोप) प्रकाश पी हिंदुजा की उपस्थिति में राय की किताब का लोकार्पण करते हुए कहा कि यह हिंदी सिनेमा के गौरवशाली इतिहास की याद दिलाती है। आज हमारी फिल्मों का जो वैश्विक बाजार बना है उसमें हिंदुजा बंधुओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

उन्होंने कहा कि इस किताब में शामिल कहानियों को आज लोग भूल गए हैं। उन्होंने कहा कि कई तथ्य मुझे भी मालूम नहीं थे। कान फिल्म समारोह में शुरू से भारत की भागीदारी होती रही है पर इस बार भारत यहां फिल्म बाजार में ‘आनर आफ द कंट्री’ है और सबसे बड़ी संख्या में भारतीय यहां आए हैं। यह किताब हमें भविष्य के लिए प्रेरित करेगी। अजित राय ने कान फिल्म समारोह पर सबसे ज्यादा लिखा है और फिल्म पत्रकारिता में कई दशकों से सक्रिय रहे हैं। अब दुनिया भारतीय कहानियों को सुनने लगी है।

  • समारोह में मौजूद मशहूर अभिनेत्री मारियान बोर्गो ने कहा कि फ्रांस के लोग भारत को बेइंतहा प्यार करते हैं। दोनों देशों को फिल्म निर्माण और फिल्म फेस्टिवल के क्षेत्र में और ज्यादा भागीदारी बढ़ानी चाहिए। भारत के पास कहानियां है और फ्रांस के पास कला सिनेमा का ज्ञान। यह किताब हिंदी सिनेमा के सुनहरे इतिहास को दोबारा जीवित करने को प्रेरित करेगी।

हिंदुजा समूह के अध्यक्ष (यूरोप) प्रकाश हिंदुजा ने कहा कि भारत और दुनिया के दूसरे देशों के बीच फिल्म निर्माण में  ‘को प्रोडक्शन’ की काफी संभावनाएं हैं। यह किताब नई पीढ़ी के फिल्मकारों और सिनेमा प्रेमियों को प्रेरणा देगी।

फिल्म प्रोड्यूसर बाबी बेदी ने कहा कि भारतीय फिल्म उद्योग में हिंदुजा बंधुओं का बड़ा योगदान है और यह काम उन्हें आगे भी करना चाहिए जैसा कि किताब में उम्मीद की गई है।

भारतीय वाणिज्य और उद्योग परिसंघ के महानिदेशक अरुण चावला ने कहा कि ऐसी और किताबों की जरूरत है। यह किताब हमें उन कहानियों में ले जाएगी जो अब तक नहीं सुनी गई।

किताब के लेखक अजित राय ने कहा हिंदुजा बंधुओं को सिनेमा में अपना व्यवसाय अभी कुछ साल तक किसी न किसी रूप में जारी रखना चाहिए था। भारतीय सिनेमा को दुनिया भर में ले जाने के अपने उपक्रमों का दस्तावेजीकरण करना चाहिए था जिससे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती। मेरा सुझाव है कि मुंबई में एक ऐसा संग्रहालय बनाया जाए जिसमें सिनेमा के इस स्वर्णिम इतिहास को दर्शाया जाए। सिनेमा से प्रेम करने वाली आज की नौजवान पीढ़ी को कम से कम पता तो चले कि वह दौर कैसा था और कैसे हिंदुजा बंधुओं के प्रयासों से दुनिया भर में भारतीय सिनेमा को पहचान मिली थी।  कान फिल्म समारोह में आयोजित इस लोकार्पण समारोह में दुनिया भर से आए फिल्मकार और सिनेमा प्रेमी मौजूद थे।

About the author

ashrutpurva

Leave a Comment

error: Content is protected !!