मनस्वी अपर्णा II
तुम्हारे रंग में तन-मन भिगा दो आज होली है
मुहब्बत की रिवायत है निभा दो आज होली है
बुलाती है तुम्हें हर सांस धड़कन की सदाओं से
झलक अपनी जरा सी तो दिखा दो आज होली है
चढ़े ये रंग कुछ ऐसे कभी उतरे नहीं चढ़ कर
सुनो कुछ इश्क पानी में मिला दो आज होली है
मिलाओ देर तक मेरी नजर से यूं नजर अपनी
हया के रंग से चेहरा खिला दो आज होली है
बहक जाता है ये तन मन तुम्हारे पास आते ही
नशे में झूम लेने दो पिला दो आज होली है
जरा सी जिंदगी है दूरियों में क्यूं गंवाएं हम
ये इक दीवार सी जो है गिरा दो आज होली है
चलो मिल जाएं हम ऐसे कि जैसे रंग मिलते हैं
ये सारे फासले बढ़ कर मिटा दो आज होली है
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