बाल कविता बाल वाटिका

‘मां मत हटाओ रजाई’

सांवर अग्रवाल II

मां मत हटाओ रजाई,
इसमें कितनी है गरमाई,
स्कूल की है छुट्टी,
मुझे पीने दो न फ्रूटी।

देखो, ठंड कितनी बढ़ी है,
बुखार भी मेरे चढ़ी है,
मत अभी गीजर को आॅन करो,
आज मुझे जी भर कर सोने दो।

काम करके जब तुम थक जाना,
मेरे संग तुम भी आ जाना,
प्यार और स्नेह की थपकी से,
मुझे गहरी नींद सुला जाना।

अगर बनाओ गरम पकौड़े,
तो मैं तुरंत उठ जाऊंगा,
जाओ तेल गर्म करो जल्दी,
मै भागा भागा आऊंगा।

बांहों में मैं फिर तेरे,
दुलार की गर्मी पाऊंगा,
छूमंतर हो जाएगी सर्दी,
फिर जल्दी से नहाऊंगा।

2.

जाड़े की छुट्टियां आई,
बबलू दीदी घर पर आई,
चिंकी मिनी सब उसको घेरे,
बबली मंद मंद मुस्काई।

बबलू दीदी अच्छी है,
वो बंगलोर में पढ़ती है,
उसकी बोली मीठी है,
हम सबको खुश वो रखती है।

लेकर आई है नई नई फ्रॉक,
वो बनाएगी अब टिक-टोक,
सब बना कर बैठे है घेरा,
मिला उनकी बांहों का डेरा।

हम सब पिकनिक जाएंगे,
खाना वहीं बनाएंगे,
हमारी सरदार है बबलू दीदी,
बच्चों सी वो सीधी सीधी।

वो गाना हमें सिखाएंगी,
अच्छी बातें बताएंगी,
वो हम सबको झुमाएंगी,
नया साल संग मनाएगी।

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