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बच्चों के लिए यह मुश्किल दौर : कैथरीन

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। ब्रिटेन की बाल साहित्य लेखिका कैथरीन रंडेल का कहना है कि बाल साहित्य के हिसाब से यह स्वर्ण युग है। रॉयल नार्वेजियन दूतावास की ओर से बाल लेखन पर आयोजित एक कार्यक्रम से अलग कैथरीन ने कहा कि इस समय अधिक से अधिक बाल साहित्य लिखा जा रहा है। बेहतरीन प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। लेकिन इसके साथ ही बच्चों के लिए यह मुश्किल भी दौर है और शायद बचपन इतना चुनौतीपूर्ण पहले कभी नहीं रहा।
बाल लेखिका कैथरीन ने कहा कि बच्चों के लिए लिखते समय लेखकों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। बच्चों की आवाज को कभी दबाना नहीं जाना चाहिए। वे भी इंसान हैं और उसी तरह से उनका जीवन पेचीदा है। हमें इन बातों को ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि बाल मन तभी दुनिया को सबसे बेहतर तरीके से समझता है, जब वह पढ़ता है। बाल साहित्य के हिसाब से मुझे लगता है कि कई प्रकार से यह स्वर्ण युग है। अधिक से अधिक बाल साहित्य लिखा जा रहा है। बहुत चौंकाने वाली लेखक प्रतिभाएं सामने आ रही हैं।
ब्रिटिश लेखिका ने कहा, बच्चों के लिए ये सबसे मुश्किल समय है। वे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से परेशान हैं। वे सोशल मीडिया पर अपनी लगातार निगरानी से परेशान हैं। उन्हें दुनिया के भविष्य की चिंता है। बच्चा होना इससे पहले कभी इतना मुश्किल भरा नहीं रहा। उन्होंने कहा, हमें उन्हें ये कहने की बजाय कि चिंता की कोई बात नहीं हैं, हमें उनकी समस्याओं, उनकी चिंताओं को समझने और उनका हल निकालने की जरूरत है। हमें उनसे कहना होगा कि हम तुम्हारे साथ हैं।
कैथरीन रंडेल ब्रिटिश लेखिका और शिक्षाविद् हैं। उनकी लिखी किताब रूफटॉपर्स को 2015 में वाटरस्टोन्स चिल्ड्रन्स बुक प्राइज और श्रेष्ठ कहानी के लिए ब्लू पीटर बुक अवार्ड मिल चुका है। उन्हें कानेर्गी मेडल के लिए भी चयनित किया जा चुका है। वे बताती हैं कि किस प्रकार अपने मित्र के साथ ब्राजील में अमेजन के जंगलों में घूमने के दौरान उन्हें द एक्सप्लोरर लिखने की प्रेरणा मिली।
कैथरीन ने कहा, मैंने कई भारतीय बाल लेखकों को पढ़ा है। मैंने बचपन में भी कई पिक्चर  बुक पढ़ी हैं। मौजूदा समय में बच्चों के सामने आदर्शों के सवाल पर कैथरीन कहती हैं, आज बच्चों के पास बहुत साहसी रोल मॉडल हैं। आदर्श का कोई संकट नहीं है। वे ग्रेटा थुनबर्ग (जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता) की ओर देखते हैं। (मीडिया में आए समाचार की पुनर्प्रस्तुति)

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