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मेरी लेखन यात्रा पूरी तरह से अपनी है : सुधा मूर्ति

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। लेखिका सुधा मूर्ति ने पिछले दिनों कहा कि उनका लेखन पूरी तरह स्वतंत्र है। उस पर किसी भी प्रकार से उनके पति की छाप नहीं है। अलबत्ता उन्होंने यह जरूर कहा कि उनके पति नारायण मूर्ति की कंपनी इंफोसिस ने उनका दायरा बढ़ाने में मदद जरूर की, लेकिन उनकी लेखन यात्रा पूरी तरह उनकी अपनी है। वे जयपुर साहित्य उत्सव में बोल रही थीं।
इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति ने जयपुर में आयोजित साहित्य उत्सव में एक सत्र में कहा कि अगर उनके पति की धन-संपदा नहीं होती तो वे समाजसेवा नहीं कर सकती थीं। अंग्रेजी और कन्नड़ की लेखिका सुधा ने कई उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा संस्मरण और लघु कहानी संग्रह लिखे हैं। उन्होंने बच्चों के लिए आठ किताबें लिखी हैं। जिनकी खासी चर्चा रही है। इनमें हाउ आई टॉट माई ग्रांड मदर टू रीड, द गोपीज डायरी, और हाउ दि अनियन गॉट इट्स लेयर्स विशेष रूप से शामिल हैं।
सुधा मूर्ति ने  साहित्य उत्सव में ‘माई बुक्स एंड बिलीफ्स’ नामक सत्र के दौरान कहा, मेरा लेखन मूर्ति (नारायण मूर्ति) के लेखन से स्वतंत्र है। यह मेरे भीतर का रचना संसार है और जो कुछ भी मैं लिखती हूं, उसका इंफोसिस से कोई संबंध नहीं है। इंफोसिस ने समाज सेवा से जुड़े कार्य करने में मेरी काफी मदद की है। लेकिन मेरा लेखन पूरी तरह से मेरा अपना है। लेखिका ने अपनी उपलब्धियों के लिए अपने पति का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा, थैंक्यू नारायण मूर्ति।
उन्होंने कहा, जब मैंने उनसे शादी की थी, तब वे बेरोजगार थे। मैंने एक अच्छा निर्णय लिया। मैं बेहतर निर्णय लेती हूं। मैं अर्थशास्त्र में अच्छी नहीं हूं, लेकिन मैं दुनिया की सबसे अच्छी निवेशक हूं। मैंने दस हजार रुपए रुपए दिए और आज देखो!
टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (टेल्को) द्वारा नियुक्त की जाने वाली पहली महिला इंजीनियर सुधा मूर्ति ने कहा कि महिलाओं के लिए यह सब संभव है। उन्होंने कहा, ऐसा करना संभव है (महिलाओं के लिए) लेकिन कभी-कभी मुझे लगता है कि कहानी कहने के जादू ने मुझे यहां तक पहुंचाया है… एक शिक्षिका होने के नाते मुझे पता है कि 45 मिनट तक कक्षा को कैसे बांधे रखना है।
सुधा मूर्ति अपने दामाद ऋषि सुनक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने से बहुत खुश हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि रिश्ते पद या सत्ता के मोहताज नहीं होने चाहिए। यह पूछे जाने पर कि उनके दामाद ब्रिटेन के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं, इससे वह कैसा महसूस करती हैं, मूर्ति ने कहा कि वह खुश हैं, लेकिन उनके रिश्ते सत्ता के पदों से बहुत परे की चीज हैं। उन्होंने कहा, कोई भी सास खुश होगी कि उसका दामाद प्रधानमंत्री है। लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं। वह अपने देश में अपने लोगों की सेवा कर रहे हैं और मैं अपने देश में अपने लोगों की सेवा कर रही हूं। 
सुधा मूर्ति ने कहा, पद तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन रिश्ते वैसे ही रहने चाहिए। मेरे लिए, ऋषि हमेशा मेरे दामाद रहेंगे। उन्होंने कहा कि सुनक के प्रधानमंत्री बनने के बाद से वह उनसे नहीं मिली हैं। उन्होंने हंसते हुए कहा, वह बहुत व्यस्त हैं और मैं भी। (यह समाचार मीडिया में आए समाचार की पुनर्प्रस्तुति)

मेरा लेखन पूरी तरह से मेरा अपना है। लेखिका ने अपनी उपलब्धियों के लिए अपने पति का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा, थैंक्यू नारायण मूर्ति।

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