अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। मशहूर मराठी लावणी गायिका सुलोचना चव्हाण का मुंबई में निधन हो गया। वे उम्र संबंधी कई बीमारियों से ग्रस्त थीं। सुलोचना पद्मश्री से सम्मानित थीं। बावने साल की प्रख्यात गायिका ने दक्षिण मुंबई स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। उनके बेटे विजय चव्हाण ने यह जानकारी दी। विजय खुद भी ढोलकी वादक हैं।
सुलोचना चव्हाण लावणी समरदनी यानी लावणी की रानी के रूप में विख्यात थीं। वे महाराष्ट्र की इस पारंपरिक संगीत शैली में सबसे प्रसिद्ध गायिकाओं में शुमार थीं। सुलोचना जी के निधन पर कई बड़ी हस्तियों ने गहरा शोक जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, आने वाली पीढ़ियां महाराष्ट्र, विशेष रूप से लावणी की संस्कृति को बढ़ावा देने में सुलोचना ताई चव्हाण की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें याद रखेंगी। उन्हें संगीत और रंगमंच का भी शौक था। उनके निधन से दुख हुआ। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ओम शांति।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शोक संदेश में लिखा, श्रीमती सुलोचना-ताई चव्हाण लावणी की निर्विवाद रानी थीं। उन्होंने अपनी अनूठी आवाज व उच्चारण के बल पर कई लावणियों को अमर कर दिया। उनकी सुरीली आवाज कई और वर्षों तक जीवित रहेगी। मैं महान गायिका को अपनी ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और श्री विजय चव्हाण व शोक संतप्त परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने भी ट्वीट किया, अपनी आवाज के जादू से अनेक लावणी में जान फूंकने वाली वाली महाराष्ट्र की सबसे बुजुर्ग लावणी साम्राज्ञी पद्मश्री सुलोचना चव्हाण के निधन का समाचार सुनकर गहरा दुख हुआ। उनके निधन से सुरों की आकाशगंगा में एक खालीपन पैदा हो गया। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। इन हस्तियों के अलावा संगीत जगत से जुड़ीं हस्तियों ने भी गहरा शोक जताया है। (मीडिया में आाए समाचार पर आाधारित)
सुलोचना चव्हाण ‘लावणी समरदनी’ यानी लावणी की रानी के रूप में विख्यात थीं। वे महाराष्ट्र की इस पारंपरिक संगीत शैली में सबसे प्रसिद्ध गायिकाओं में शुमार थीं। वे लावणी की निर्विवाद रानी थीं। उन्होंने कविता में जीवन का संचार किया और अपनी अनूठी आवाज व उच्चारण के बल पर कई लावणियों को अमर कर दिया।