विभय कुमार ‘दीपक’ II
१ )
अमराई में /
कोयल रही कूक /
मंडराते भंवरे /
वसंत आया /
कलियों – फूलों पर /
पियराई सरसों ।।
२ )
खेतों में खड़ीं /
गेहूँ की ये बालियाँ /
झूमती – अधपकी /
हवा हिलाती /
हर तरफ दिखा /
बिखरा हुआ सोना ।।

३)
चैता के स्वर /
जोगीरा , चौताल भी /
अबीर – गुलाल से /
भरा आकाश /
छिड़ा फाग का राग /
भीगा – भीगा सा मन ।।
४ )
वसंत संग /
फागुन की दहक /
टेसू – पलाश फूले /
पहना बाना /
केसरिया रंग का /
जागी है तरुणाई ।।
५ )
वासंती मन /
कामदेव की कृपा /
यौवन , उल्लास है /
हे ! नवागत /
स्वागत है तुम्हारा /
रतिपति अनंग ।।
६ )
बाजे ढपली /
कबीरा सा रा रा रा /
मची धमाचौकडी /
हुरियारों में /
न आदि न ही अन्त /
चढ़ा भंग का रंग ।।
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