साहित्य का उद्देश्य क्या है? क्या इसे एक विषय के रूप में देखा जाना चाहिए। क्या इसका उद्देश्य लोकरंजन है या फिर समाज को संस्कारित करना और मनुष्य को सभ्य बनाना है। या इसका काम समसामयिक मसलों पर विचार कर उसका समाधान भी बताना है। साहित्य के मायने क्या है? हमारी राय में किसी भी देश का साहित्य परंपरा, लोक जीवन, राजनीतिक परिस्थितियों तथा मनुष्य की भावनाओं का विरासत है। साहित्य यानी आपके साथ। साहित्य हमारे साथ चलता है। वह हमें एक नई चेतना देता है। हम में एक नई ऊर्जा भरता है। इसलिए खुद में सीमित न रहें, साहित्य रहें। यानी सब के साथ रहें। मानवीय बनें। रचनारत रहें। जैसे प्रकृति रहती है।

अगस्त 2021 में हमने एक शुरुआत की। आज पांच महीने बाद हम करीब 25 हजार पाठकों तक पहुंच गए हैं। यह यात्रा जारी है। इस दौरान हमें प्रतिष्ठित लेखकों का साथ मिला। युवा रचनाकार जुड़े। कई महिला रचनाकार जिनकी दुनिया रसोई और बच्चों का भविष्य संवारने तक सीमित थीं मगर जिनका मन कल्पना लोक में विचरता था, उन्हें अश्रुत पूर्वा ने एक नया आसमान दिया जहां वे अपनी स्याही से इंद्रधनुष रच सकें। चित्र बनाएं। कविता या गजल लिखें। जीवन संघर्ष से उपजे भावों को पिरोएं।
यह भूमिका इसलिए कि आज से छह महीने पहले जब अश्रुत पूर्वा की स्थापना हो रही थी, तो हम यही सोच रहे थे कि इसका उद्देश्य क्या है? हम किसलिए इसे सामने लाएं। या फिर ऐसा कुछ करें जिसके बारे में कभी न सुना गया हो। जो सबसे अलग हो। हम उन मसिजीवियों को भी सामने लाना चाहते थे जो अब नहीं लिख रहे या जिन्हें भूला दिया गया। और जिनका लिखा हुआ पढ़ना आज की पीढ़ी के लिए आवश्यक है। उन युवा रचनाकारों को भी आगे लाना चाहते थे जिन्हें मुख्यधारा की पत्रिकाएं समुचित स्थान नहीं दे रहीं।
अगस्त 2021 में हमने एक शुरुआत की। आज पांच महीने बाद हम करीब 25 हजार पाठकों तक पहुंच गए हैं। यह यात्रा जारी है। इस दौरान हमें प्रतिष्ठित लेखकों का साथ मिला। युवा रचनाकार जुड़े। कई महिला रचनाकार जिनकी दुनिया रसोई और बच्चों का भविष्य संवारने तक सीमित थीं मगर जिनका मन कल्पना लोक में विचरता था, उन्हें अश्रुत पूर्वा ने एक नया आसमान दिया जहां वे अपनी स्याही से इंद्रधनुष रच सकें। चित्र बनाएं। कविता या गजल लिखें। जीवन संघर्ष से उपजे भावों को पिरोएं। वो सब कुछ रचें जो एक नारी चाहती है। और खुद को अभिव्यक्त करना चाहती है। इसमें हमें सफलता मिली। आज अश्रुत पूर्वा से कई महिला रचनाकार जुड़ गई हैं। वे यहां नियमित रूप से लिख रही हैं।
अपने समांतर साहित्यिक वेबसाइट से बेहतर हम क्या दें आपको, इस पर हमारी सृजनात्मक टीम प्राय: मंथन करती रहती है। नए साल में हम और रचनात्मक होंगे। नए लेखकों को जोड़ते जाएंगे। साहित्य के पुरोधाओं से संस्कार प्राप्त करेंगे। उनसे आशीष लेंगे। सब कुछ बेहतर रहा तो अश्रुत पूर्वा का स्वरूप भी बदलेंगे और एक नई साज-सज्जा के साथ उत्कृष्ट पठन सामग्री हम अपने पाठकों को देंगे। आपकी कसौटी पर अभी हम कितना खरा उतर पा रहे हैं, यह हमें जरूर बताएं। आपके सुझावों का स्वागत है।
आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं।
डॉ. सांत्वना श्रीकांत,
संस्थापक संपादक
अश्रुत पूर्वा डॉट काम
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