अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। बच्चों के मन में अकसर यह सवाल उठता है कि ये पक्षी घोंसला बनाते कैसे हैं? हालांकि इस सवाल से पहले यह जानना अधिक दिलचस्प है कि वे घोंसला बनाते ही क्यों हैं? एक सच यह भी है कि सभी पक्षी घोंसला नहीं बनाते हैं। पेंगुइन को ही लीजिए। वे घोंसला नहीं बनाते। वे अपने अंडे को अपने पैरों पर रखते हैं। कुछ पक्षी, जैसे कोयल तो अपने अंडे किसी और के घोंसले में रख कर निश्चिंत हो जाते हैं। और कुछ पक्षी अपने अंडों को पत्तियों या कंकड़ के बीच या चट्टानों पर छोड़ देते हैं। मगर जो पक्षी घोंसला बनाते हैं, उनका सिर्फ एक ही मकसद रहता है कि उनके अंडे सुरक्षित रहें।
बच्चों आपने देखा होगा कि कई पक्षी पेड़ों के खोखले तने में अपना घोंसला बनाते हैं। आपको पता है कि इसी वजह से पेड़ों को न काटने की सलाह दी जाती है, भले ही वे सूख क्यों न गए हों। कूकाबुरा नाम का पक्षी अपनी मजबूत चोंच का इस्तेमाल दीमक के घोंसले में घुसने और अंदर आरामदायक घोंसला बनाने के लिए करते हैं। प्यारी चित्तीदार चिड़िया तो दिन भर गाती फिरती है, मगर किसी कोने में छोटी सी सुरंग भी खोदती रहती है। और भीतर आखिरी छोर पर अंडे रखने के लिए एक सुरक्षित जगह बनाती है।
बच्चों, ब्रश टर्की तो टीले बनाने में महीनों गुजार देते हैं। नर टर्की यह देखता है कि उसके अंदर जमीन का तापमान बिल्कुल सही है या नहीं। तभी वह मादा को अंडे देने देता है। वह अंडों के चारों ओर धूल जमा करके देखता है कि वह स्थान ज्यादा गर्म या ठंडा तो नहीं है। वैसे पक्षी कई प्रकार के घोंसलों का निर्माण करते हैं। तैरते हुए घोंसले भी वे बनाते हैं। कप, गुंबद, पेंडुलम और टोकरी के आकार के घोंसले भी दिखाई पड़ते हैं। कई पक्षी सरकंडों, टहनियों, पत्तियों, घास, काई या मिट्टी से भी घोंसले बनाते हैं।

घोंसलों को बुनने से पहले कई पक्षी उस जगह का चुनाव करते हैं, जहां उन्हें घोंसला बनाना होता है और फिर वहां तिनके या टहनियां बिछा कर आधार बनाते हैं। फिर वे घोंसला बनाने के लिए सामान बटोर कर लाते हैं। अपनी चोंच और पैरों का उपयोग चुनी हुई सामग्री को बुनने के लिए करते हैं। छोटे तिनकों को पट्टियां बनाने के लिए ठीक उसी तरह ऊपर नीचे खींचते हैं, जैसे कोई कुशल कारीगर गलीचा बुनता है। वे गांठ भी बांध सकते हैं।
मैगपाई-लार्क, एपोस्टलबर्ड्स और चॉफ मिट्टी के कटोरे जैसे घोंसले बनाते हैं जो टेराकोटा के बर्तनों की तरह दिखते हैं। ऐसा करने के लिए, वे अपनी चोंच में मिट्टी और घास जमा करते है। वे घोंसला बनाने के लिए लार का भी इस्तेमाल करते हैं। सच कहें तो पक्षियों की लार घोंसलों के निर्माण के लिए एक मजबूत और चिपचिपी सामग्री है। एक प्रकार का गोंद बनाने के लिए पक्षी इसमें लार और कीचड़ को मिलाते हैं। विली वैगटेल तो एक अन्य प्रकार के गोंद का उपयोग करते हैं वह है चिपचिपा मकड़ी का जाला। वे मकड़ी के जाले का उपयोग कर घास की सिलाई करते हैं और ये जाले हवा और पानी के खिलाफ भी घोंसलों को मजबूत रखने में मदद करते हैं।
मैगपाई और कौवे कुशलता से अपने तिनकों को जमा कर कटोरे की शक्ल में ढाल लेते हैं, बल्कि वे अपने घोंसलों में कई मानव निर्मित सामग्री का भी इस्तेमाल करते हैं। घोंसला बनाने के लिए वह कई बार कपड़े, तार या धागे का उपयोग करते हैं।
घोंसलों को बुनने से पहले कई पक्षी उस जगह का चुनाव करते हैं, जहां उन्हें घोंसला बनाना होता है और फिर वहां तिनके या टहनियां बिछा कर आधार बनाते हैं। फिर वे घोंसला बनाने के लिए सामान बटोर कर लाते हैं। अपनी चोंच और पैरों का उपयोग चुनी हुई सामग्री को बुनने के लिए करते हैं। छोटे तिनकों को पट्टियां बनाने के लिए ठीक उसी तरह ऊपर नीचे खींचते हैं, जैसे कोई कुशल कारीगर गलीचा बुनता है। वे गांठ भी बांध सकते हैं।
ये पक्षी सचमुच बुनकर जैसे होते हैं। बुनाई में इतने अच्छे कि वे जटिल घोंसले तक बना सकते हैं जो पूरे पेड़ों को ढक देते हैं और इनमें कई कक्ष होते हैं। वास्तव में ये बुद्धिमान होते हैं। वे अपनी चोंच और पैरों के साथ अपनी बुद्धि का उपयोग कर उपलब्ध सामग्री के साथ घोंसला बनाने के खूब चतुराई दिखाते हैं। आखिर वे कैसे इतने माहिर होते हैं। ठीक वैसे ही जैसे अपने माता-पिता या साथियों से हम सीखते हैं। (इनपुट- एजंसी)
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