अश्रुत पूर्वा II
कोलकाता। बांग्ला के विख्यात कवि और वयोवृद्ध लेखक सरत कुमार मुखर्जी नहीं रहे। वे 90 साल के थे। उनका दिल का दौरा पड़ने से 21 दिसंबर को निधन हो गया। बता दें कि उन्हें सुनील गांगुली और शक्ति चट्टोपाध्याय के साथ उत्तर-आधुनिकतावादी कवियों के समूह का हिस्सा माना जाता रहा है। वे त्रिशंकु छद्म नाम से भी लिखते थे। उन्हें ‘बिरजामोहन’ और ‘टू गॉड’ जैसी कविताओं के लिए जाना जाता है। मुखर्जी केपरिवार में इकलौता बेटा सायन मुखर्जी हैं। उनकी पत्नी कवयित्री बिजॉय मुखापोध्याय का पहले ही निधन हो चुका है।

उत्तर आधुनिकतावाद के कवियों में से एक थे सरत मुखर्जी। वे कविताओं के लिए नए व्याकरण और भाषा शिल्प के साथ साहित्य जगत में आए। उनकी कविताएं अपने दौर में आधुनिक और क्रांतिकारी मानी गई।
फोटो : साभार गूगल
उत्तर आधुनिकतावाद के कवियों में से एक थे सरत मुखर्जी। वे कविताओं के लिए नए व्याकरण और भाषा शिल्प के साथ साहित्य जगत में आए। उनकी कविताएं अपने दौर में आधुनिक और क्रांतिकारी मानी गई। उन्होंने ग्लास्गो में पढ़ाई की थी। अपना जीवन साहित्य को समर्पित करने से पहले सरत मुखर्जी सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सचिव भी रहे। वे लेखक बुद्धदेब गुहा और दिब्येंदु पालित के करीबी रहे।
सरत मुखर्जी की कविताओं के संकलन का ‘द कैट अंडर द स्टेयर्स’ शीर्षक के साथ अंग्रेजी में अनुवाद किया गया। यह आनंद रॉबर्ट एस मैकनमारा ने किया था। बांग्ला साहित्य जगत में बेहद चर्चित मुखर्जी ने अपने समय और परिवेश पर गहन निजी विचारों के साथ कविताएं लिखीं और कई संवेदनशील कविताएं रचीं। (स्रोत : एजंसी)
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