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उद्भ्रांत का लेखन विपुल लेकिन गुणात्मक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण : मदन कश्यप

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। वरिष्ठ कवि उद्भ्रांत 75 साल के हो गए। इस उपलक्ष्य में केंद्रीय विहार पुस्तकालय एवं वाचनालय के तत्वावधान में कार्यक्रम आयोजित किया गया। उनके जन्म उत्सव पर हिंदी के वरिष्ठ विद्वानों व साहित्यकारों ने उनके सृजनात्मक व्यक्तित्व पर विशद चर्चा करते हुए कहा कि हिंदी साहित्य में उनका अवदान सबसे अलग और विशिष्ट है। इस अवसर पर उनकी सद्य: प्रकाशित पुस्तक ‘हम गवाह चिठ्ठियों के उस सुहाने दौर के’ का लोकार्पण करते हुए आज के समय में पत्र-लेखन के महत्व को भी रेखांकित किया।
वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने कहा कि उद्भ्रांत का लेखन मात्रात्मक दृष्टि से विपुल और गुणात्मक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। इनमें जितना विस्तार है उतनी ही गहराई भी है। इनकी सतत सक्रियता प्रभावित करती है और प्रेरणा भी देती है। पत्रों का यह संकलन इस मायने में उल्लेखनीय है कि इसके माध्यम से 1965 से आज तक की साहित्यिक गतिविधियों को समझने का अवसर मिलता है। आज भले ही पत्र लिखना बंद हो गया है, लेकिन उनका महत्व कम नहीं हुआ।
साहित्य अकादेमी के पूर्व उप सचिव बृजेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि इन्होंने सभी विधाओं में विपुल लेखन किया है, विशेषकर जो लुप्तप्राय विधाएं  जैसे महाकाव्य, प्रबंध काव्य आदि को मिथकों की नई व्याख्या के माध्यम से पुनर्स्थापित करने का उपक्रम किया है। पत्रों की यह पुस्तक बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय पत्र विधा लुप्त हो गई है। पत्र अपने दौर के खास दस्तावेज हैं और साहित्य इतिहास के लेखन में इनका महत्व निर्विवाद है।
भारतीय जन संचार संस्थान के पूर्व प्रोफेसर और कवि-अनुवादक डॉ. हेमंत जोशी ने कहा कि उद्भ्रांत का व्यक्तित्व न केवल रचनात्मक है वरन वे आसपास के लोगों को भी रचनात्मक रूप से सक्रिय होने को प्रेरित करते हैं। मेरे कई विषयों पर उनसे मतभेद रहते हैं लेकिन उनका यह गुण अच्छा लगता है कि वे मतभेदों पर खुल कर चर्चा करते हैं। दूरदर्शन की पूर्व समाचार वाचक मंजरी जोशी ने कहा कि उद्भ्रांत का व्यक्तित्व बहुत सरल और सहज है और प्रभावित करता है। वे मुझे हमेशा काम करने को प्रेरित करते हैं।
इस अवसर पर उद्भ्रांत ने अपने जीवन और रचना के संघर्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने लोकार्पित पुस्तक की संपादन प्रक्रिया के बारे में  बताते हुए हिंदी के कालजयी रचनाकारों से अपने संपर्कों की चर्चा की और पुस्तक से कुछ पत्रों का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन राधेश्याम गुलाटी ने किया। सोसाइटी के अध्यक्ष केओपी करन और पुस्तकालय के चेयरमैन श्री बिष्ट ने भी संबोधित किया। सचिव सुभाषचंद्र जौहरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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