अश्रुत तत्क्षण

साहित्य-चिंतक रमेश कुंतल मेघ नहीं रहे

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। प्रसिद्ध सौंदर्यशास्त्री और साहित्य-चिंतक रमेश कुंतल मेघ वहीं रहे। पिछले दिनों एक सिंतबर को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। कई साहित्यकारों में शोक जताते हुए कहा कि मेघ जी के जाने से आलोचना और विचार के क्षेत्र में जो जगह खाली हुई है, वह शायद ही कभी भरी जा सके।
रमेश कुंतल मेघ जनवादी लेखक संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वे 1982 से ही जलेस के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते रहे। जयपुर सम्मेलन (सितंबर 2022) में उन्हें संगठन के संरक्षक मंडल में स्थान मिला था। जलेस को हमेशा उनका स्नेह और सहयोग मिलता रहा। वे जब तक सक्रिय रहे, जलेस दफ़्तर आते रहे।
रमेश कुंतल मेघ के व्याख्यान अपनी प्रासंगिकता और दार्शनिक तेवर एवं गहराई के लिए याद किए जाते हैं। उनकी आलोचना-भाषा अपनी विशिष्ट बनावट व संवेदना के लिए ख्यात रही। अमेरिका में उन्हें सौंदर्यशास्त्र पर व्याख्यान देने के लिए अतिथि विद्वान के तौर पर आमंत्रित किया गया।
मेघ जी की दिलचस्पी मुख्यत: आधुनिकता, सौंदर्यविज्ञान और समाजशास्त्र के अध्ययन में रही। सुदीर्घ कृति ‘विश्वमिथकसरित्सागर’ उनकी बरसों की अनथक साधना का प्रतिफल थी। इस कृति के अलावा उनकी प्रमुख रचनाए हैं—‘मिथक और स्वप्न’, ‘तुलसी: आधुनिक वातायन से’

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