हरीश नवल II घात, घातक, विश्वासघात और प्रतिघात शब्दों को हम पढ़ते सुनते रहे हैं। वृहत हिंदी कोश में...
व्यंग्य (गद्य/पद्य)
परमबली
हरीश नवल II बचपन से हम सब रामायण और महाभारत की कथाएं पढ़ते और सुनते आए हैं। रामकथा में हनुमान और...
दिखते हैं, होते नहीं
हरीश नवल II कैसी विडंबना है कि हम ‘होना’ नहीं ‘दिखना’ चाहते हैं। ‘दिखना’ पर हमारा विशेष जोरदार...
बड़े लोगों की बात ही और है
डॉ. अतुल चतुर्वेदी II सबसे बड़ी बात यह है कि बड़े लोग हमेशा कुछ बड़ा करने की सोचते हैं। उनका सोच...
रेलवे प्लेटफार्म पर तीसरी नजर
अतुल मिश्र II रेलवे प्लेटफार्म कई सारी गतिविधियों को संपन्न करने के काम आते हैं। ‘गतिविधियां’ हम...
निजता बड़प्पन की निशानी है
अतुल चतुर्वेदी II वैसे भी यह मैं, मेरा और मेरे लिए का युग है। व्यष्टि चिंतन की बयार में समष्टि के...
बेशर्मी का बाज़ार
डॉ. अतुल चतुर्वेदी II उन पर बेशर्मी की मजबूत लोई थी। वो जब-तब उसे मौका देखकर ओढ़ लेते थे । अलबत्ता...
एक अनाम कवि का आख्यान
भारत यायावर II एक आशु कवि थे । उनकी कविता सुनकर कुछ लोग उनको आँसू कवि भी...
कवि की स्वर्ग से वापसी
राजेश्वर वशिष्ठ II अस्पताल फाइव स्टार था। प्राइवेट रूम मिला, जहाँ सभी सुविधाएँ थीं पर मरीज के निकट...