कविताएं

कविताएं काव्य कौमुदी

पाश

उर्वशी भट्ट II आसक्ति के पाश की जकड़ इतनी घातक होती है, किदेह चूक जाती है सारा सामर्थ्यचेहरा ज़र्द...

error: Content is protected !!