मनस्वी अपर्णा II २१२२ १२१२ ११२/२२ खुद की लौ में यूं झिलमिलाना हैअपने भीतर दिया जलाना है...
सामाजिक सशक्तिकरण
जब लौटे अयोध्या राम सजी रंगोली विजय की
नीता अनामिका II छल-कपट के चौसर परपासे गए सब सजचले वचनबद्ध रामराज पाट सब तज… वर्ष चौदह वनवास...
सन्नाटा…
संध्या यादव II 1) मैंने पूछा उससे-“सन्नाटा भी बोलता है क्या?”उसने अपने होंठ रख दियेमेरी...
मेरे दो फूल
डॉ परमजीत ओबेरॉय II दो फूलहैं मेरे दो फूल-जाऊं कैसे,इन्हें मैं भूल।चाहे जाएं –ये मुझे...
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध
रामधारी सिंह दिनकर II समर शेष है ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो,किसने कहा, युद्ध की बेला...
‘प्रेम-विमर्श’
सांत्वना श्रीकांत II एक ने कहा- बहुत संवेदनशील हूँ मैं.. इकलौती थी अपने माँ बाबा की, दूसरी ने कहा ...
सुषमा गुप्ता की कविताएँ
सुषमा गुप्ता II 1-सौभाग्य पहली दफा जब अपना पाँवतुम्हारे पाँव की बगल में देखातब सबगंगा घाट...
स्वीकारोक्ति
शुभ्रा सिंह II हर मौन स्वीकारोक्ति नहीं होतीउनमें प्रस्फुटित होती हैविद्रोह के विध्वंस भीसुलगती...
हिन्दी
विनीत मोहन ‘औदिच्य’ II विधा – गीतिका पदांत – “हिंदी”समांत...
हिंदी के सम्मान में नुक्कड़-नाटक गीत
नरेश शांडिल्य II [नुक्कड़-नाटक ‘भारत बनाम इंडिया’ के लिए लिखे नरेश शांडिल्य के इस गीत...
तभी उचित सम्मान मिलेगा
ताराचंद शर्मा II मिलकर साथ अगर शामिल हों सारे इस अभियान मेंतभी उचित सम्मान मिले हिंदी को हिंदुस्तान...
दुख और पैमाने
ज्योति सिंह II एक ने कहा दुःखी हूं दूसरे नें कहा मैं बहुत दुःखी हूंतीसरे ने कहा मैं सबसे...