ऊर्वशी घनश्याम II कच्ची पक्की पगडंडियांहुलस के गले मिलीराह चलतेढेरों बातेंसर्द तल्खियांदांतों तले...
सामाजिक सशक्तिकरण
मन पलाश
प्रीति शर्मा II पीत कुसुम के कुण्डल धारे, अल्हड़ कोंपल शरमाई।पीली सरसों पायल पहने, लगती नर्तित...
मधुवन
शिलाएँ मौन रहती हैं किंतु हवाएँ सच बोलती हैंतुम्हारी अनुपस्थिति में भी मातृ प्रेम का रस घोलती...
अनाहूत -(सॉनेट )
अनिमा दास II निश्चिह्न कर दो इन पदरेखाओं कोकह दो.. संसार को आह! न कहेउन्मुक्त कर दो घृणित पक्षियों...
स्त्री!
डॉ. मंजुला चौधरी II स्त्री!तुम अपने आस-पास पसरे वर्जनाओं के जाल में क्यों उलझती हो,जबकि हमेशा टूटती...
जब मेरी कविता तुम्हारे पास आएगी
राकेश धर द्विवेदी II मेरी मृत्यु के पश्चाततुम्हारे पास आएंगीमेरी कविताएं।तुम्हें रुलाएंगी, तुम्हें...
आज अपना सच बताना है मुझे
मनस्वी अपर्णा II मैं हूं औरत! आज अपना सच बताना है मुझेमेंहदी की मानिंद पिस के रंग लाना है मुझे...
मैं लखनऊ हूं
राकेश धर द्विवेदी II मैं निकलता हूं जबलखनऊ स्टेशन के बाहर,सामने लिखा देखता हूं-मुस्कुराइए कि आप...
मुझे भगवान मिल गए
एक सुबह निकल पड़ता हूंकार्यालय के लिए,दौड़ कर मेट्रो पकड़ता हूंऔर सीट पर बैठने काप्रयास करता हूं...
मां एक बात बतलाओ ना
राकेश धर द्विवेदी II कोयल अब कूं-कूं नहीं करतीगौरेया भी नहीं फुदकती दिखतीन ही सुनाई देतीमैना की...
भूल जाती हूँ सारे ग़म
वीणा कुमारी II जब पेड़ के पत्तों सेटप टप टपकती हैबारिश की बूंदेंतो निहारती रहती हूं उसेऔर भूल जाती...
जब समय मिले
केदारनाथ सिंह II आनाजब समय मिलेजब समय न मिलेतब भी आना आनाजैसे हाथों मेंआता है जांगरजैसे धमनियों...