अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। कवि अशोक वाजपेयी उस सांस्कृतिक महोत्सव का हिस्सा नहीं बने, जिसमें वे पहले शामिल होने वाले थे। चर्चा है कि आयोजकों ने उनसे सरकार की आलोचना वाली कविताएं नहीं पढ़ने को कहा। हालांकि खबरों के मुताबिक आयोजकों ने कहा कि किसी ने भी उनसे अपने विचारों को सीमित करने के लिए नहीं कहा था।
दरअसल, वाजपेयी पिछले दिनों सुंदर नर्सरी में ‘जी’ की ओर से आयोजित तीन दिवसीय ‘अर्थ कल्चर फेस्ट’ में शामिल होने वाले थे। इसमें अनामिका, बद्री नारायण, दिनेश कुशवाहा और मानव कौल सहित अन्य कवियों को भी हिस्सा लेना था। रेख़्ता फाउंडेशन कविता सत्र में आयोजकों का सहयोगी था। पूर्व प्रशासक, रजा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी और कवि अशोक वाजपेयी ने फेसबुक पर लिखा, मैं अर्थ और रेख़्ता द्वारा अयोजित कल्चर फेस्ट में हिस्सा नहीं ले रहा हूं क्योंकि मुझसे कहा गया कि मैं ऐसी ही कविताएं पढूं जिनमें राजनीति या सरकार की सीधी आलोचना न हो। इस तरह की रोक अस्वीकार्य है। वाजपेयी ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने सात ‘कोरस’ पढ़ने की योजना बनाई थी। रेख़्ता से एक व्यक्ति ने संपर्क किया और पूछा कि क्या मैं राजनीतिक संकेतार्थ वाली कोई कविता पढ़ूंगा। मैंने उनसे कहा कि कविता गैर-राजनीतिक कैसे हो सकती है। तब उन्होंने मुझे इससे दूर रहने के लिए कहा। मैं इस तरह की ‘सेंसरशिप’ के पक्ष में नहीं हूं, इसलिए मैं इसमें शामिल नहीं हो रहा हूं।
उधर, अर्थ उत्सव के एक प्रवक्ता ने कहा कि वाजपेयी का अपने विचार साझा करने के लिए स्वागत है और यह कार्यक्रम उन वक्ताओं की मेजबानी कर रहा है, जो सत्ता के खिलाफ सक्रिय रूप से बोलते रहे हैं। उन्होंने कहा, न तो महोत्सव के निदेशकों और न ही आयोजकों ने उन्हें किसी भी विचार को सीमित करने के लिए कहा है। हम विभिन्न नजरिए और विचारों की सराहना करते हैं और समाज के सभी वर्गों के वक्ताओं का स्वागत करते हैं। इस साल कुछ बेहतरीन वक्ताओं की मेजबानी कर रहे हैं, जिनमें वे भी शामिल हैं जो सत्ता के खिलाफ सक्रिय रूप से बोलते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि महोत्सव वक्ताओं के लिए एक तटस्थ मंच प्रदान करता है और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने में कोई भूमिका नहीं निभाता। प्रवक्ता ने कहा, हम उत्सव में वाजपेयी जी की मेजबानी करने के लिए उत्सुक हैं। खबरों के मुताबिर रेख़्ता फाउंडेशन ने भी वाजपेयी के दावे का खंडन किया और कहा कि न तो ‘रेख़्ता’ और न ही ‘जी’ के आयोजकों ने सत्र में किसी भी कवि से ऐसी मांग की है।
रेख़्ता फाउंडेशन के संचार प्रमुख सतीश गुप्ता मुताबिक हमने सभी से पूछा कि वे सत्र में क्या सुनाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन वह सिर्फ इसलिए था ताकि हम इसे कार्यक्रम में उनके परिचय में जोड़ सकें। हमने या ‘जी’ ने उन्हें कभी यह नहीं कहा कि वे राजनीतिक कविताएं नहीं पढ़ सकते। अगर यह सच होता, तो हमने सबसे यही कहा होता। उन्होंने साफ किया कि रेख्ता फाउंडेशन केवल कविता सत्र का आयोजन कर रहा है न कि पूरे सांस्कृतिक उत्सव का। ललित कला अकादमी के अध्यक्ष रहे वाजपेयी उन हस्तियों में शामिल रहे हैं, जिन्होंने ‘जीवन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमले’ के विरोध में 2015 में अपने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिए थे। (खबर मीडिया में आए समाचार की पुनर्प्रस्तुति)