अश्रुतपूर्वा डेस्क II
नई दिल्ली। आखिरकार ओस्लो से नोबेल की सबसे बड़ी खबर आ ही गई। सात अक्तूबर को नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा कर दी गई। बेलारूस जेल में बंद अधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की, रूसी समूह मेमोरियल और यूक्रेन के संगठन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार दिया जा रहा है। यूक्रेन के एक संगठन को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना जाना रूस के लिए एक बड़ा झटका है। नोबेल कमेटी की प्रमुख बेरिट रीज एंडरसन ने नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा की।
एंडरसन के मुताबिक नोबेल कमेटी एक दूसरे के पड़ोसी देशों बेलारूस, रूस और यूक्रेन में मानवाधिकार, लोकतंत्र व शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के इन तीन बड़े पैरोकारों को सम्मानित करना चाहती है। उन्होंने ओस्लो में कहा, इस वर्ष के नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं ने मानवीय मूल्यों व कानूनी सिद्धांतों का समर्थन और सैन्य कार्रवाई का विरोध कर सभी राष्ट्रों के बीच शांति व सौहार्द के अल्फ्रेड नोबेल के विचार को पुनर्जीवित किया है। यह एक ऐसा विचार है, जिसकी आज दुनिया को बहुत जरूरत है।
बता दें कि बियालियात्स्की 1980 के दशक में बेलारूस में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के नेताओं में शामिल थे। वे तानाशाही व्यवस्था वाले देश बेलारूस में आज भी मानवाधिकारों व नागरिक स्वतंत्रता के लिए अभियान चला रहे हैं। उन्होंने गैर-सरकारी संगठन ह्यूमन राइट्स सेंटर वियासना की स्थापना की और साल 2020 में उन्होंने राइट लाइवलीहुड पुरस्कार जीता।
- नोबेल कमेटी की प्रमुख एंडरसन ने ओस्लो में कहा, इस वर्ष के नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं ने मानवीय मूल्यों व कानूनी सिद्धांतों का समर्थन और सैन्य कार्रवाई का विरोध कर सभी राष्ट्रों के बीच शांति व सौहार्द के अल्फ्रेड नोबेल के विचार को पुनर्जीवित किया है। यह एक ऐसा विचार है, जिसकी आज दुनिया को बहुत जरूरत है।
एंडरसन ने कहा कि व्यक्तिगत परेशानियां झेलने के बावजूद, बियालियात्स्की बेलारूस में मानवाधिकारों व लोकतंत्र के लिए अपनी लड़ाई में जरा भी पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा कि नोबेल समिति इस आशंका से अवगत है कि बेलियात्स्की को पुरस्कार दिए जाने पर बेलारूस में अधिकारी उनके खिलाफ और कार्रवाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा, हम कामना करते हैं कि यह पुरस्कार उन्हें प्रभावित नहीं करेगा। हमें उम्मीद है कि इससे उनका मनोबल बढ़ेगा। है।
वहीं, मेमोरियल की स्थापना साम्यवादियों के किए गए दमन के शिकार लोगों की याद में 1987 में, तत्कालीन सोवियत संघ में की गई थी। मेमोरियल अब भी रूस में मानवाधिकारों के हनन और राजनीतिक बंदियों के बारे में सूचनाएं एकत्र करता है।
एंडरसन ने कहा, संगठन सैन्यवाद का मुकाबला करने मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के प्रयासों में भी सबसे आगे खड़ा है। यूक्रेन में मानवाधिकारों व लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए साल 2007 में सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज की स्थापना की गई थी। एंडरसन ने कहा, इसने यूक्रेनी नागरिक समाज को मजबूत बनाने के लिए कदम उठाए हैं। साथ ही इसने यूक्रेन को एक पूर्ण लोकतांत्रिक देश बनाने व कानून का राज कायम के लिए अधिकारियों पर दबाव डाला है।
सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रतिनिधि वोलोदिमीर येवोरस्की ने कहा है कि नोबेल पुरस्कार संगठन के लिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि हमने बरसों देश के लिए काम किया है। हालांकि यह पुरस्कार हमारे लिए आश्चर्य की बात है। लेकिन युद्ध के खिलाफ मानवाधिकार गतिविधियां मुख्य हथियार हैं।
उल्लेखनीय है कि स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है। (मीडिया में आई खबरों पर आधारित)