अभिप्रेरक (मोटिवेशनल)

अपमान से सीखिए कुछ कर गुजरने का जज्बा

पूजा त्रिपाठी II

जीवन में बहुत बार आपको अपमानित या बेइज्जत किया गया होगा। खासतौर पर तब जब आप निम्न या मध्यमवर्ग या ऐसे परिवेश से आते हों जिसको समाज पिछड़ा या हीन भावना से देखता हो। अपमान करने वाले व्यक्ति से आप किस तरह से प्रतिकार करते हैं यह आपकी समझदारी पर निर्भर करता है। बेइज्जती जीवन में बहुत जरूरी है वह आक्सीजन का काम करती है जिससे आपको कुछ नया करने का जज्बा पैदा होता है।

मिडिल क्लास के माता पिता अपने बच्चों को बहुत डराते हैं कि बेटा बेइज्जती मत कराना। आप इतने बड़े वंश के तो हो नहीं जो आपको बेइज्जती से डर लग रहा है। आगे बढ़ने के लिए बेइज्जती का होना आपके लिए सबक है कुछ सीखने के लिए, कुछ नया करने के लिए। अक्सर लोग अपमान का बदला लेने के लिए तनाव में रहने लगते हैं या फिर झगड़ा-फसाद की नौबत आ जाती है। समाज में कुछ लोग दूसरों को बेइज्जत करना अपनी शान या दबदबा समझते हैं।

परन्तु इतिहास ऐसे लोगों से भरा पड़ा है जिन्होंने बेइज्जती को ही अपना हथियार बनाया और तब तक लगे रहे जब तक उन्होंने कुछ ऐसा साबित नहीं कर लिया कि लोग कहें वाह क्या बात है। ईसा मसीह की बेइज्जती हुई। लोगों ने उन्हें मारा पीटा, सूली पर लटकाया। वे मसीहा बन गए। भगवान राम को अगर उनकी सौतेली माता द्वारा अपमानित नहीं किया जाता और चौदह वर्ष का वनवास न होता तो राम केवल राजाराम ही रहते।

महात्मा गांधी को साउथ अफ्रीका की रंंगभेद नीति के कारण उन्हें ट्रेन में यात्रा नहीं करने दी गई और उन्हें रेलगाड़ी से नीचे फेंक दिया गया। होटल में काले होने के कारण उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया। इसी घटना ने उन्हें अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए आक्सीजन का काम किया और वे आजाद भारत के राष्ट्रपिता बने।

भीम राव अंबेडकर को भी एक जाति विशेष का होने के कारण अपने ही देश में घोर अपमान सहन करना पड़ा। उनको कुएं से पानी नहीं भरने दिया जाता था यहां तक कि उन्हें उच्च जाति वर्ग के घरों के सामने से निकलने की भी मनाही थी। इस घटना ने उनके जीवन को झकझोर दिया। उन्होंने कहा, हमें अपने रहने का तरीका बदलना होगा और शिक्षित होना होगा। इसके लिए उन्होंने शिक्षा को माध्यम बनाया। हिंदुस्तान में शायद ही कोई व्यक्ति उस समय अंबेडकर जितना शिक्षित रहा हो। घोर अपमान झेलने के बाद भी उन्होंने छुआछूत के खिलाफ संघर्ष किया। उनका कहना था कि छुआछूत गुलामी से भी बदतर है। देश से छुआछूत मिटाने का काम बीआर अंबेडकर ने किया। वे आजाद भारत के संविधान निर्माता बने। आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया में भीम राव अंबेडकर का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है।

  • मिडिल क्लास के माता पिता अपने बच्चों को बहुत डराते हैं कि बेटा बेइज्जती मत कराना। आप इतने बड़े वंश के तो हो नहीं जो आपको बेइज्जती से डर लग रहा है। आगे बढ़ने के लिए बेइज्जती का होना आपके लिए सबक है कुछ सीखने के लिए, कुछ नया करने के लिए।

टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा को फोर्ड कंपनी के मालिक बिल फोर्ड से अपमान सहना पड़ा। जब वह घाटे में चल रही टाटा मोटर्स को बेचने का प्रस्ताव लेकर बिल फोर्ड के पास गए तब बिल फोर्ड ने यह कह कर उनका मजाक उड़ाया कि जब आपको कार बनानी आती ही नहीं तो आपने कार का बिजनेस किया ही क्यों। रतन टाटा ने इस अपमान को अपनी हिम्मत बनाया और फिर से कार बनाने के काम में लग गए और दस साल बाद टाटा मोटर्स को दुनिया की प्रतिष्ठित कंपनी बना दिया और फिर फोर्ड कंपनी को खरीद कर उस अपमान का बदला लिया। तब बिल फोर्ड ने कहा था कि आप हमारी कंपनी खरीद कर हम पर अहसान कर रहे हैं।

आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया में रतन टाटा की सादगी और महानता की साख है। उन्होंने टाटा समूह को इतनी उंचाई पर पहुंचाया कि दुनिया के 100 से अधिक देशों में इसके कार्यालय हैं।

नोबेल पुरस्कार विजेता नेल्सन मंडेला को उनके अपने ही देश में अश्वेत लोगों के लिए संघर्ष करना पड़ा जिसकी कीमत उन्हें 27 वर्ष तक जेल में बिता कर चुकानी पड़ी। पूरी दुनिया में शांति दूत के नाम से प्रसिद्ध नेल्सन मंडेला को रंगभेद के खिलाफ लड़ाई में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। मंडेला को अफ्रीका का गांधी कहा जाता है। अफ्रीका में सदियों से चले आ रहे रंगभेद का विरोध करने वाले नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने।

भारत के नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का पूरा जीवन बाल मजदूरी और शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष करने में गुजर गया। कितनी ही बार उन्हें जान से मारने की कोशिश की गई। उन्हें सड़क पर सोना पड़ा, अपमानित होना पड़ा, पर उन्होंने अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा। बाल मजदूरी के खिलाफ संघर्ष करने के लिए उन्हें दुनिया के सर्वोच्च पुरस्कार नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया।

पाकिस्तान की युसुफ जई मलाला को अपने शिक्षा, बाल मजदूरी और उदारवादी प्रयासों के कारण मात्र 14 साल की उम्र में आतंकवादियों नें उन्हें जान से मारने की कोशिश की जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गई। 17 वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार पाने वाली युसुफ जई मलाला दुनिया की सबसे कम उम्र वाली नोबेल पुरस्कार विजेता बनी। उनके इस अद्भुत कार्य के लिए पाकिस्तान में मलाला दिवस मनाया जाता है।

चाणक्य, बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा और कालिदास जैसे अनेक महापुरुष हुए हैं जिन्होंने बेइज्जती को आक्सीजन के रुप में लिया और कुछ ऐसा कर गए कि दुनिया उन्हें हमेशा याद करती रहेगी। जीवन जब तक है अपमान तो होगा ही और हर कदम पर होगा। क्योंकि दुनिया के लोगों ने जब महापुरुषों को नहीं छोड़ा तो हम आप क्या चीज हैं। जरूरत बस इस बात की है कि कुछ करने के लिए अपमान को पाजिटिव रुप में लें और प्रतिशोध या हताशा की भावना से काम न करें। याद रखिए अपमान का बदला लड़ाई करके नहीं सामने वाले व्यक्ति से ज्यादा सफल बन कर लिया जाता है।

About the author

पूजा त्रिपाठी

पूजा त्रिपाठी सीएसजेएम विश्वविद्यालय कानपुर में एम.ए. की छात्रा हैं और साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहीं हैं । पूजा इन दिनों स्वतंत्र लेखन कर रहीं हैं ।

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