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भारतीय लोकगीत महोत्सव संपन्न

फोटो : साभार गूगल

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। लोकगीत जन-जीवन के दुख-सुख को अभिव्यक्त करते हैं। भारत लोकगीतों के मामले में बेहद समृद्ध है। यहां जन्म से लेकर विवाह तक के लोकगीत मिलते हैं। हमारे यहां वीरता पर भी लोकगीत गाए गए। लोक संस्कृति और लोक गीतों पर जब भी कोई आयोजन होता है तो वस्तुत: वह हमारी संस्कृति को ही समृद्ध करता है। हैदराबाद में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था सूत्रधार की ओर से भारतीय लोकगीत महोत्सव का आयोजन किया गया। इसका स्वरूप संगोष्ठी के रूप था। जो दो सत्रों में आयोजित की गई। पहले दौर में गोष्ठी हुई और दूसरे दौर में लोकगीतों का आयोजन।

  • अगर भारत की आत्मा को महसूस करना है तो हमें देश के विभिन्न अंचलों के लोकगीत सुनना चाहिए। इस कड़ी में कोलकाता में लोकगीत महोत्सव का आयोजन किया गया जिसमें देश भर से विख्यात लोकगीत कलाकारों ने हिस्सा लिया और अपनी-अपनी भाषा में लोक गीतों को प्रस्तुत किया। बहुभाषी कवि सम्मेलन की तरह बहुभाषी लोकगीतों पर आधारित यह अपनी तरह का अनूठा महोत्सव था।

कार्यक्रम का शुभारंभ और संचालन डॉ. राखी सिंह कटियार ने किया। उन्होंने उदयपुर की विख्यात लोक कलाकार डॉ. शंकुतला सरपरिया को अध्यक्षता के लिए आमंत्रित किया।  सिलीगुड़ी से कवयित्री प्रतिमा जोशी विशेष अतिथि के रूप में शमिल हुई। श्रीमती ज्योति नारायण ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।  प्रथम सत्र में भारतीय संस्कृति में लोकगीतों के महत्त्व विषय पर कोलकाता की समर्थ कवयित्री नीता अनामिका ने अपना वक्तव्य दिया। इसमें उन्होंने लोकगीतों के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि लोकगीत भारतीय संस्कृति का भूत, वर्तमान और भविष्य  तीनों हैं। सरिता सुराणा ने राजस्थानी लोकगीतों के माधुर्य पर अपने विचार व्यक्त किए।

द्वितीय सत्र में लोकगीत महोत्सव का आयोजन किया गया जिसमें देश भर से विख्यात लोकगीत कलाकारों ने अपनी-अपनी भाषा में लोक गीतों को प्रस्तुत किया। बहुभाषी कवि सम्मेलन की तरह बहुभाषी लोकगीतों पर आधारित यह अपनी तरह का अनूठा महोत्सव था। इस मौके पर मुंबई से ऋचा सिन्हा ने ब्रजभाषा में तो हैदराबाद से रेखा तिवारी, भागलपुर से पिंकी मिश्रा, बंगलूर से अमृता श्रीवास्तव और राची से ऐशवर्या मिश्र ने भोजपुर गीत प्रस्तुत किए। कोलकाता से सुशीला चनानी ने मरावाड़ी गीतों का फ्यूजन प्रस्तुत कर वाहवाही बटोरी। जयश्री ने तेलुगू में लोक गीत प्रस्तुत किया। रमिझिम झा, आर्या झा और और ज्योति नारायण ने मैथिली में मनभावन गीत पेश किए।

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