अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। नवरात्र उत्सव का इंतजार युवाओं को बेसब्री से होता है। इस दौरान जहां युवा उपवास रखते हैं, वहीं इस दौरान युवाओं का डांडिया नृत्य के प्रति खासा रूझान रहता है। कुछ महीने पहले से ही युवा डांडिया नृत्य का अभ्यास शुरू कर देते हैं। खास कपड़ों की तैयारी भी होने लगती है। डांडिया नृत्य के अभ्यास और प्रस्तुुुति के दौरान युवाओं में एक दूसरे के प्रति आत्मीयता बढ़ जाती है।
नवरात्रि में शक्ति साधना का एक माध्यम भी है गरबा नृत्य। इस नृत्य के जरिए मां को प्रसन्न किया जाता है। कैसे शुरू हुआ गरबा, इसे हमें जानना चाहिए। नवरात्रि पर गरबा और डांडिया खेलने का खास महत्व है। गुजरात में गरबा और डांडिया खेलने का प्रचलन सदियों पुराना है। गरबा और डांडिया हमेशा नवरात्रि पर खेला जाता है। हमारे यहां नृत्य और गायन को भक्ति और साधना का एक मार्ग बताया गया है। गरबा की बात करें तो इसका संस्कृत में नाम है गर्भ दीप। बरसों पहले गरबा को ‘गर्भदीप’ के नाम से ही जाना जाता था।
गरबा की शुरुआत में कच्चे मिट्टी के घड़े को फूलों से सजाया जाता है। इस घड़े में कई छोटे छेद होते हैं। इसके अंदर दीप जला कर रख दिया जाता है। आदि शक्ति मां का आह्वान किया जाता है। इस दीप को ही गर्भदीप यानी गरबा कहा जाता है। गरबा यानी गर्भदीप के चारों ओर गोल घेरे में युगल नृत्य कर मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं। महिलाएं तीन ताली बजा कर नृत्य करती हैं। ये तालियां ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का तरीका है। ऐसी मान्यता है कि तालियों की गूंज से मां भवानी जागृत होती हैं।
गरबा गुजरात का पारंपरिक लोक नृत्य है। धीरे-धीरे इसका चलन बढ़ता गया। फिर राजस्थान और उसके बाद देश के बाकी राज्यों, यहां तक की विदेश में भी नवरात्रि के दौरान गरबा नृत्य धूमधाम से होता है।
युवाओं की नजर में गरबा की रातें उनके लिए आजादी का जश्न मनाने जैसी होती हैं। न कोई रोकटोक और न कोई बंदिश। मगर कई अभिभावक ये चाहते हैं कि उनके बच्चे समय पर घर आ जाएं। मगर गरबा की मस्ती में बच्चे इतने खो जाते हैं कि समय का पता ही नहीं चलता। युवाओं की मानें तो उनके अभिभावक भी कुछ नहीं कर पाते। अक्सर माता-पिता अब रामलीला देखने जाने से कतराते हैं। इस कारण भी युवाओं का रुझान गरबा नृत्य की ओर बढ़ा है।
कोई भेदभाव नहीं यहां
आप चाहे किसी भी जाति या समुदाय से हों, इस नृत्य में शामिल होकर आप एक समान हो जाते हैं। सब नृत्य में को जाते हैं। कोई जरूरी नहीं कि आप जिसको भी अपना डांस पार्टनर बना रहे हैं, वह आपके समुदाय या हैसियत का हो। गरबा की मस्ती में डूबे युवा जात-पात और उंच-नीच के भेद को भुला देते हैं।
अब तो हर महानगर और बड़े शहरों से लेकर छोटो शहरों तक इस नृत्य का आयोजन होता है। लोक नृत्य में दक्ष कलाकारों को भी इस आयोजन में शामिल किया जाता है। नवरात्र उत्सव में गरबा नृत्य कर लोग इस त्योहार में खुशी जताते हैं। इस के बाद फिर नवरात्र उत्सव आने का इंतजार शुरू हो जाता है।
