व्यंग्य (गद्य/पद्य)

मेनहोल में गिरे रामभरोसे का ‘लाइव टेलीकास्ट’

अतुल मिश्र II

सड़क के बीचों-बीच खुले पड़े मेनहोल के चारों तरफ भारी भीड़ जमा थी। अखबारी रिपोर्टरों के अलावा कई न्यूज चैनलों के नुमाइंदे भी थे, जो ऐसे मौकों पर पहुंच कर अपने दर्शकों किसी भी घटना का आंखों देखा हाल तब तक दिखाते हैं, जब तक कि लोगों को आई इन्फेक्शन न हो जाए। जानकारी करने पर पता चला कि मेनहोल में रामभरोसे नाम का कोई आदमी पिछले कई घंटों से गिरा पड़ा है, मगर लाख कोशिशों के बावजूद वह निकल नहीं पा रहा है। कबाड़-चैनल का रिपोर्टर घुटनों के बल लेटकर अपने माइक से रामभरोसे का इंटरव्यू लेने में लगा था।
‘कब से हैं आप इस मेनहोल में?’
‘कब से क्या, जब से गिरे हैं, बस, तब से यहीं पड़े हैं, भईया!’ अपने गिरने की सूचना को तार्किक कसौटी पर कसते हुए रामभरोसे ने कहा।
पहली बार किसी मेनहोल में गिरे हैं आप? रिपोर्टर ने पूछा.
‘हां, भईया, हमारा तो पहला ही एक्सपीरियंस है।’ रामभरोसे ने माइक को पकड़ कर उसके सहारे ऊपर चढ़ने के असफल प्रयास करते हुए रिपोर्टर को सही जानकारी दी।
‘अंदर आप कैसा महसूस कर रहे हैं?’ चैनल के रिपोर्टर ने फिर पूछा।
‘अंदर आकर खुद देख लीजिए  कि कैसा लगता है? अब हम अपने मुंह से क्या बताएं आपको?’ रामभरोसे ने हाथ-कंगन को आरसी क्या वाला मुहावरा सुनाए बिना मुंह उठा कर बताया।
‘तो यह हैं रामभरोसे, जिनकी आवाज हमारे दर्शक लगातार मेनहोल में से सुन रहे हैं। हम अपने दर्शकों को यहां यह बता दें कि रामभरोसे नाम का यह शख्स आज सुबह करीब दस बजे अपने घर के सामने खुले पड़े मेनहोल की शिकायत करने जब नगर निगम के दफ्तर जा रहा था, तभी निगम के इस पास वाले मेनहोल में जा गिरा, जिससे उसकी लिखी हुई एप्लीकेशन पूरी तौर पर भीगकर नष्ट हो गई थी।’ टीवी चैनल के मुख्य केंद्र पर मौजूद एंकर ने अपनी एक्सक्लूसिव न्यूज को और भी एक्सक्लूसिव बनाते हुए दर्शकों को बताया।
‘हमारी नजर लगातार इस खबर पर लगी हुई है। आप देख रहे हैं कि फायर ब्रिगेड, पुलिस और आर्मी के जवान यहां अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं और रामभरोसे भगवान भरोसे इस मेनहोल में फंसे पड़े हैं। अभी-अभी सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्षी पार्टी के कुछ नेता हमारे चैनल पर न्यूज देख कर आए थे और खाने के पैकेट के साथ सौ-सौ के रुपए के नोट भी उन्हें मेनहोल में ही देकर अपने-अपने चुनाव-प्रचार पर निकले हैं। अब वक़्त हो चला है एक ब्रेक का। मेनहोल में गिरे आदमी के आगे का हाल हम लगातार दिखाते रहेंगे। टीवी छोड़ कर कहीं मत जाइएगा।’
उधर, टीवी पर रामभरोसे के मेनहोल में पड़े रहने का लाइव टेलीकास्ट चल रहा था और उधर, रामभरोसे द्वारा नगर-निगम को ना छापने लायक गालियों का प्रसारण भी लगातार जारी था।

About the author

Atul Mishra

अतुल मिश्र देश के शीर्ष व्यंग्यकारों में से एक हैं। वे कई अखबारों और पत्रिकाओं के अलावा स्टार न्यूज और पीटीसी न्यूज में अहम पदों पर काम कर चुके हैं। पत्रकारिता करते हुए उन्होंने सैकड़ों व्यंग्य रचनाएं लिखीं। उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। कई पुरस्कारों से सम्मानित अतुल मिश्र इस समय पुरातत्त्व और राष्ट्रीय धरोहरों को सहेजने का कार्य कर रहे हैं। वे श्री धनवंतरि फार्मेसी का भी सफलता पूर्वक संचालन कर रहे हैं।

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