कविता सामाजिक सशक्तिकरण

ओस की बूंदों ने गवाही दी है

तू मेरे इश्क की इबारत है
तू इसे पढ़ न पाई है

रात रो रो कर हमने काटी है
दुख में कोई अब न साथी है

चांद आज रात भर रोया है
ओस की बूंदों ने गवाही दी है

सजल नैनों और बंद होठों से
किसी गीत की अवाजाही है

जिसकी पीड़ा के स्वर को सुन
सुबह-सुबह गुलाब मुस्कुराया है।

दर्द का स्वर सीप में पड़ कर
मोती बन कर खिलखिलाया है।

बात मुद्दत से जो थी आंखों में
आज लबों पे उतर अई है।

तू मेरे इश्क की इबारत है
तू इसे पढ़ न पाई है।

About the author

राकेश धर द्विवेदी

राकेश धर द्विवेदी समकालीन हिंदी लेखन के सशक्त हस्ताक्षर हैं। वे कवि हैं तो गीतकार भी। उनकी कई रचनाएं प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। द्विवेदी की सहृदयता उनकी रचनाओं में परिलक्षित होती है। उनकी कुछ रचनाओं की उपस्थिति यूट्यूब पर भी देखी जा सकती है, जिन्हें गायिका डिंपल भूमि ने स्वर दिया है।

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