ऊर्वशी घनश्याम II कच्ची पक्की पगडंडियांहुलस के गले मिलीराह चलतेढेरों बातेंसर्द तल्खियांदांतों तले...
कविताएं
स्त्री!
डॉ. मंजुला चौधरी II स्त्री!तुम अपने आस-पास पसरे वर्जनाओं के जाल में क्यों उलझती हो,जबकि हमेशा टूटती...
जब मेरी कविता तुम्हारे पास आएगी
राकेश धर द्विवेदी II मेरी मृत्यु के पश्चाततुम्हारे पास आएंगीमेरी कविताएं।तुम्हें रुलाएंगी, तुम्हें...
मैं लखनऊ हूं
राकेश धर द्विवेदी II मैं निकलता हूं जबलखनऊ स्टेशन के बाहर,सामने लिखा देखता हूं-मुस्कुराइए कि आप...
मुझे भगवान मिल गए
एक सुबह निकल पड़ता हूंकार्यालय के लिए,दौड़ कर मेट्रो पकड़ता हूंऔर सीट पर बैठने काप्रयास करता हूं...
मां एक बात बतलाओ ना
राकेश धर द्विवेदी II कोयल अब कूं-कूं नहीं करतीगौरेया भी नहीं फुदकती दिखतीन ही सुनाई देतीमैना की...
भूल जाती हूँ सारे ग़म
वीणा कुमारी II जब पेड़ के पत्तों सेटप टप टपकती हैबारिश की बूंदेंतो निहारती रहती हूं उसेऔर भूल जाती...
जब समय मिले
केदारनाथ सिंह II आनाजब समय मिलेजब समय न मिलेतब भी आना आनाजैसे हाथों मेंआता है जांगरजैसे धमनियों...
मां बताती रही हमेशा
अमनदीप ‘विम्मी’ II जवान होने पर मां मुझ पर कड़ी नजर रखती थीवो नहीं चाहती थी किमैं देखूं गुलाब...
पृथ्वी यात्रा पर है
डा. राजीव सक्सेना II पृथ्वी पर्व यात्रा पर है,औरतुम स्वागत नहीं करोगे!उन्मादकारी पवनदशों दिशाओं...
‘चाय की प्याली’
संगीता सहाय II शहर के नुक्कड़ परचाय की दुकानमर्दों का जमघट,उंगलियों के बीच दबा सिगरेटधुएं के छल्ले...
गाँव में गुरु
गोलेन्द्र पटेल II जहाँ दिखता हैगोबर, गोहरा, गोइठा, गाज, …., धूल व धुआँऔरहर दुआर पर कुआँवह गाँव हैऔर...
