अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। ओड़ीशा के प्रख्यात भाषाविद् और लोक गीतकार महेंद्र कुमार मिश्रा को मातृभाषा को बढ़ावा देने की उनकी आजीवन सेवा के लिए यूनेस्को का अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा पुरस्कार मिलेगा। उन्हें 2023 के पुरस्कार लिए नामित किया गया है। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा संस्थान, ढाका के महानिदेशक प्रोफेसर हकीम आरिफ ने मिश्रा को एक संदेश भेजा है। इस संदेश में उन्हें पुरस्कार समारोह में आने का न्योता दिया है।
खबरों के मुताबिक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 21 फरवरी को औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा संस्थान में लोक गीतकार महेंद्र कुमार मिश्रा को पदक प्रदान करेंगी। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2000 में 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया था। भाषा आंदोलन दिवस, जिसे भाषा शहीद दिवस भी कहा जाता है, 21 फरवरी को पूर्वी पाकिस्तान के भाषा को लेकर शहीद हुए लोगों की याद में बांग्लादेश में मनाया जाता है। इन लोगों ने उर्दू को थोपने के खिलाफ लड़ाई लड़ी और बांग्लादेश के स्वतंत्र देश बनने से लगभग दो दशक पहले अपनी आधिकारिक भाषा के रूप में बांग्ला को स्थापित किया।
मिश्रा 1996 से लेकर 2010 तक बहुभाषी शिक्षा के लिए राज्य समन्वयक थे और प्राथमिक विद्यालयों में मातृभाषा आधारित बहुभाषा शिक्षा को अपनाने में अग्रणी थे। स्कूली शिक्षा में लुप्तप्राय भाषाओं को बढ़ावा देने में भी उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था। स्कूली पाठ्यक्रम में लोकगीतों का उपयोग करने के उनके परीक्षण को ओड़ीशा और छत्तीसगढ़ के प्राथमिक विद्यालयों में व्यापक रूप से लागू किया गया है। भाषाविद् मिश्रा को 1999 में ओड़ीशा साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। इससे पहले उन्हें 2009 में मध्य प्रदेश सरकार का वीर शंकर शाह रघुनाथ पुरस्कार भी मिल चुका है। (मीडिया में आए समाचार पर आधारित)