अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। टाटा स्टील कोलकाता साहित्य उत्सव में मशहूर गीतकार और शायर ने कहा कि अभिभावक बच्चों पर शायरी न थोपें बल्कि उन्हें अपने साथ मुशायरों में ले जाएं। अगर वे चाहते हैं कि उनके बच्चे कविताओं को पसंद करें, तो वे इसे उन पर थोपे नहीं। अच्छा होगा कि बच्चों को मुशायरों व कवि सम्मेलनों में साथ लेकर जाएं जिससे उनमें इसके प्रति दिलचस्पी पैदा हो।
गीतकार जावेद ‘टाटा स्टील कोलकाता लिटरेरी मीट’ में हिस्सा ले रहे थे। इस मौके पर एक महिला ने उनसे पूछा कि बच्चों में कविता के प्रति प्रेम कैसे जगाएं तो उन्होंने कहा, आपको उन्हें यह बताने की जरूरत नहीं है। वे शायद न सुनें। जो आप करेंगे, वे भी वही करेंगे। अगर आप कविताओं को गहराई से पसंद करते हैं, अगर आप कवि सम्मेलनों व मुशायरों में जाते हैं तो आपके बच्चों में अपने आप दिलचस्पी पैदा हो जाएगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या उर्दू गीतों के रचयिता के तौर पर उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए किसी उत्तराधिकारी को तैयार किया जाना चाहिए तो जावेद अख्तर ने कहा, सरहद के दोनों ओर बहुत से युवक-युवतियां हैं। उनमें से कुछ तो 18 साल के आसपास हैं जिन्होंने उत्साह और उम्मीदें दिखाई हैं। मैं उनकी रचनाओं को यूट्यूब पर देखता हूं जो मुझे प्रेरित करती हैं। इसलिए उन्हें इस बात की जरूरत नहीं है कि मैं उन्हें प्रेरित करूं।
टाटा स्टील साहित्य उत्सव में बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी पहुंच रहे हैं। (यह समाचार मीडिया में आए समाचार पर आधारित)
- बच्चों में कविता के प्रति प्रेम कैसे जगाएं, इस सवाल पर जावेद अख्तर ने कहा, आपको उन्हें यह बताने की जरूरत नहीं है। वे शायद न सुनें। जो आप करेंगे, वे भी वही करेंगे। अगर आप कविताओं को गहराई से पसंद करते हैं, अगर आप कवि सम्मेलनों और मुशायरों में जाते हैं तो आपके बच्चों में भी दिलचस्पी पैदा हो जाएगी।
