अश्रुत तत्क्षण

साहित्य का सरोकार और अश्रुत पूर्वा का एक साल

सांत्वना श्रीकांत II

उन्नीस अगस्त। यही वह दिन है जब पिछले साल अश्रुत पूर्वा डॉट कॉम ने जीवन के विविध रंगों को साहित्य से जोड़ते हुए एक नए सरोकार के साथ चलने का संकल्प किया था। हमारा उद्देश्य किस्सा-कहानी और कविताई से बढ़ कर कुछ नया करने का था। साहित्य में इन दिनों देखने-सुनने और बोलने की जो प्रवृत्ति बन रही है, उसे खत्म करने के लिए हमने लिखने और पढ़ने पर जोर दिया। क्योंकि साहित्य इसी से समृद्ध होगा।

अश्रुत पूर्वा कुछ हद तक अपने लक्षित प्रयासों में सफल रहा। हमने कई नए और युवा लेखकों को जोड़ा। उनसे आग्रह कर लिखवाया। हमने कुछ मिथों को भी तोड़ा है। इसके लिए जीवन के कुछ खास रंगों को हिस्सा बनाया। एक कला यात्रा भी साथ चली। हमने स्वास्थ्य को लेकर समाज को जागरूक करना शुरू किया है। साहित्य का उद्देश्य लोकरंजन ही नहीं, नागरिकों में साहित्यिक अभिरुचि समृद्ध करने के साथ सुरक्षित और उदार समाज के लिए मानस तैयार करना तथा जागरूक करना भी होना चाहिए। उस दिशा में हर दिन बढ़ते रहे। बूंद-बूंद प्रयास का यह फल है कि हम हजारों पाठकों तक एक साल में पहुंच गए। हम उम्मीद कर रहे हैं कि कि आने वाले समय में हमारे पाठकों संख्या एक लाख से अधिक होगी।

अश्रुत पूर्वा ने इस बीच कुछ सार्थक पहल की। जिसके अच्छे परिणाम आए। आलेखों को नए स्वरूप दिए। हमारे लेखकों के अभिप्रेरक आलेख बेहद पसंद किए गए। इन्हें पढ़ कर कोई भी अपने जीवन की नई शुरुआत कर सकता है। हमने समाचारों को भी साहित्य से जोड़ा। साहित्य संबंधी हर छोटी-बड़ी सूचना हमने अपने पाठकों तक पहुंचाई। हर साहित्य समारोह, पुरस्कारों की घोषणा और पुस्तक लोकार्पण की खबरें भी हम देते रहे। लेखकों की उपलब्धि हो या किसी बुजुर्ग लेखक-कलाकार के निधन तक की सूचना भी हमारे पाठकों को समय पर मिलती रही। यानी साहित्य के सरोकार से लेकर समाचार तक के अपने लक्ष्य को हम पूरा करते रहे।

इसी एक साल के कालखंड में हमने अश्रुत पूर्वा में प्रकाशित विशिष्ट रचनाओं की ई-बुक भी तैयार की। हमारे ई-काव्य संग्रह को पाठकों ने पसंद किया है। इसी कड़ी में हमने अपने क्षेत्र में खास योगदान दे रहे नागरिकों को अश्रुत पूर्वा सम्मान देने का निर्णय किया है। हमारे निर्णायक मंडल ने सम्मान के लिए लेखकों और अन्य विशिष्ट जनों का चयन किया है। जिसकी घोषणा उन्नीस अगस्त, शुक्रवार को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित समारोह में होगी।

अंत में मैं अपने लेखकों और अपनी टीम का भी धन्यवाद करती हूं जिन्होंने इतने कम समय में इस वेब पोर्टल को स्थापित किया। अब इसके बाद हमें लगातार बढ़ना है। कुछ नया करना है। हमें अपने पाठकों का भी साथ चाहिए। वे भी हमसे जुड़ सकते हैं। आप सभी स्वागत है।

  • साहित्य का उद्देश्य लोकरंजन ही नहीं, नागरिकों में साहित्यिक अभिरुचि समृद्ध करने के साथ सुरक्षित और उदार समाज के लिए मानस तैयार करना तथा जागरूक करना भी होना चाहिए। उस दिशा में हर दिन बढ़ते रहे। बूंद-बूंद प्रयास का यह फल है कि हम हजारों पाठकों तक एक साल में पहुंच गए। हम उम्मीद कर रहे हैं कि कि आने वाले समय में हमारे पाठकों संख्या एक लाख से अधिक होगी।
  • – डॉ. सांत्वना श्रीकांत, संस्थापक, अश्रुत पूर्वा     

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