अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। हिंदी अब अंग्रेजी पर भारी पड़ रही है। आखिर वह दिन भी आ गया जब अंग्रेजी बोलने वाले विदेशी लोग हिंदी सीख रहे हैं। स्पेन, जर्मनी और स्विट्जरलैंड जैसे देशों के छात्र हिंदी सीख रहे हैं। ये विदेशी छात्र दूरस्थ शिक्षा के सबसे बड़े विश्वविद्यालय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से हिंदी सीख रहे हैं। पिछले दिनों इग्नू के कुलपति प्रो नागेश्वर राव ने बताया कि भारत की बढ़ती राजनीतिक साख इसकी बड़ी वजह है।
प्रो राव के मुताबिक 19 देशों के छात्र इग्नू से बेसिक हिंदी का पाठ्यक्रम पढ़ रहे हैं। कुलपति ने हिंदी के प्रति विदेशी छात्र के लगाव का कारण पूछने पर बताया कि आज हिंदी विश्व भाषा के रूप में स्वीकृत है। इसने विश्व बाजार को गहरे प्रभावित किया है। दूसरे देशों में हिंदी के प्रति आकर्षण का एक बड़ा कारण हिंदी से रोजगार भी है। जो लोग भारत और भारतीय संस्कृति से जुड़ना चाहते हैं, वे भी हिंदी सीखने के लिए उत्सुक हैं। भारत में जिन्हें नौकरी करनी है, वे भी हिंदी सीखना चाहते हैं।
प्रो राव के मुताबिक विश्वविद्यालय भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और केंद्रीय हिंदी निदेशालय के सहयोग से विदेशी नागरिकों के लिए तीन महीने का आॅनलाइन बुनियादी हिंदी जागरूकता कार्यक्रम पेश कर रहा है। पहले बैच में, नौ देशों से 224 छात्रों ने कार्यक्रम में पंजीकरण कराया। इन देशों में ताइवान, थाईलैंड, चीन, मॉरीशस, इंडोनेशिया, वियतनाम, ईरान, फिलीपींस और रोमानिया शामिल है।
इग्नू के कुलपति के मुताबिक दूसरे बैच में, 29 देशों से 144 छात्रों ने कार्यक्रम में पंजीकरण कराया। इन देशों में अर्जेंटीना, बेल्जियम, ब्राजील, चिली, मिस्र, एस्टोनिया, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, इटली, जॉर्डन, लेबनान, मलावी, मोरक्को, नामीबिया, नीदरलैंड, नाइजीरिया, फिलीस्तीन, कतर, सऊदी अरब, स्लोवेनिया, स्पेन, सूडान, सूरीनाम, स्विट्जरलैंड, टोगो, ट्यूनीशिया जांबिया और यूक्रेन शामिल हैं। (मीडिया में आए समाचार से साभार)
चीन और जर्मनी जैसे कई देशों के छात्र भी सीख रहे हैं हिंदी