डॉ. एके अरुण II
जानेमाने होम्योपैथिक चिकित्सक एवं चिंतक डॉक्टर राजन शंकरन होमियोपैथी में पीएनईआई एक्सिस की बात करते हैं। मित्रों, आपको पता है कि पीएनईआई एक्सिस आखिर होता क्या है? आइए आज इसी पीएनईआई एक्सिस पर चर्चा करते हैं।
हम जानते हैं कि हमारे शरीर का संचालन स्नायु यानी नर्व करते हैं। ठंडा, गर्म, स्वाद, इच्छा, अनिच्छा जैसी अनुभूतियों और उसके उतार चढ़ाव यानी मोडालिटी को हमारे स्नायु यानी नर्व ही हमें बताते हैं। हमारे शरीर का वजन, उसकी लंबाई, शरीर की संरचना, सेक्सुअल हार्मोनल (महिलाओं में मासिक धर्म) आदि विषय एंडोक्राइन ग्लैन्ड अथवा एंडोक्राइन तंत्र से संचालित होते हैं। शरीर का इम्यून सिस्टम एलर्जी और शरीर की कुल प्रतिरोधक क्षमता को प्रदर्शित करता है।
एक होम्योपैथिक चिकित्सक के नाते हम देखते हैं कि होम्योपैथी में मानसिक और सामान्य लक्षणों को मिला कर देखने की आम परंपरा है। इसे ही साइको न्यूरो एंडोक्राइन इम्यूनोलााजिकल एक्सिस कहते हैं यानी पीएनईआई एक्सिस। शरीर के सभी अंग सिमपैथेटिक, पारा-सिमपैथेटिक तथा सैंट्रल नर्वस सिस्टम से संचालित होते हैं। हमारे विभिन्न अंग और कोशिकाएं हारमोन और प्रतिरोधक तंत्र से नियंत्रित होते हैं। मस्तिष्क और इन नियंत्रण प्रणालियों के बीच का जो संवाद है वहीं होम्योपैथी की बुनियाद है।
आप कह सकते हैं कि इसी संवाद को हम लक्षण के रूप में दर्ज करते हैं और उसी आधार पर समुचित दवा का चुनाव करते हैं। इनमें से किसी भी 1 प्रणाली में यदि असंतुलन हो जाए तो शरीर के अंगों में बीमारी के लक्षण पैदा होने लगते हैं। वह अल्सर, अस्थमा, हाइपरटेंशन या जलन कुछ भी हो सकता है। यह सब पीएनईआई एक्सिस में गड़बड़ी की अभिव्यक्तियां है।
मुख्य नियंत्रण प्रणाली (पीएनईआई) के लक्षणों को सेंट्रल डिस्टर्बेंस का नाम दिया जा सकता है। इसलिए सेंट्रल डिस्टर्बेंस के लक्षण प्राथमिक महत्व के होते हैं क्योंकि किसी भी बीमारी की यही शुरुआती अभिव्यक्तियां हैं। मरीज में पहला बदलाव यहीं से आता है और प्रूविंग में ये पहले लक्षण है जिस पर आप विश्वास कर सकते हैं। इसलिए पीएनईआई एक्सिस को सदैव याद रखें। आपकी क्लिनिकल प्रैक्टिस में यह बहुत मददगार होगा।