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एक ग़ज़ल अंजुम बदायूनी की
आवाज़ : शरमीन मशीख़तों को फ़रोग़ देना नहीं है हुस्ने – विक़ार मेरान इतनी हल्की ज़ुबान मेरी न इतना...
आदमी एक लघु कथा -कहानी-अजय कुमार
पहले तो वो यदा कदा आये। फिर मुझसे इतना घुल मिल गये कि रोज रोज आने लगे।बस फिर क्या था वो बकायादा...
